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________________ १७३ रहे। अपने जयपुर प्रवास के दौरान उन्होंने अकादमी के निदेशक महोपाध्याय विनयसागर जी से अपने प्रकाश्यमान शोध ग्रन्थ - खरतरगच्छ का इतिहास के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण सुझाव प्राप्त किये। श्री विनयसागर जी ने उन्हें अपने द्वारा अत्यन्त परिश्रम लगभग ५० वर्ष पूर्व तैयार की गयी खरतरगच्छीय साहित्य सूची नामक अप्रकाशित ग्रन्थ की पाण्डुलिपि भी प्रदान की जिससे शोधकार्य में पूर्णता आ सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित शोधग्रन्थ पार्श्वनाथ विद्यापीठ और प्राकृत भारती अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रकाशित किया जायेगा । ३ मार्च को संस्थान के निदेशक प्रो० भास्कर के नेतृत्व में जैन समाज, वाराणसी के सक्रिय कार्यकर्ता श्री शान्तिल जी जैन, श्री विनोद जैन आदि सदस्यों का एक प्रतिनिधिमण्डल मण्डलायुक्त श्री मनोज कुमार से मिला और उनसे वाराणसी के घाटों के रख-रखाव की जिम्मेदारी जैन समाज को सौंपने का आग्रह किया जिस पर माननीय आयुक्त महोदय ने गम्भीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदानविषयक संगोष्ठी सम्पन्न संगोष्ठी में मच पर विराजित डॉ० ज्योत्सना श्रीवास्वत, प्रो० सागरमल जैन, श्री इन्द्रभूति बरड़, श्री हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव (वित्तमन्त्री, उ०प्र० शासन) एवं प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं जैन समाज, वाराणसी के संयुक्त तत्त्वावधान में ४ मार्च को विद्यापीठ के भव्य सभागार में भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश शासन के वित्तमन्त्री माननीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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