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________________ पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में (जनवरी से जून 2000 तक) भगवान चन्द्रप्रभ और भगवान पार्श्वनाथ की जयन्ती के पावन पर्व पर दिनांक १ जनवरी को पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक श्री शरद् कुमार 'साधक' का व्याख्यान आयोजित किया गया। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि जैन धर्मावलम्बी भारत के मूल निवासी हैं और अपने कथन के समर्थन में उन्होंने अनेक उदाहरण भी प्रस्तुत थे। अहिंसा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह धर्म नहीं अपितु जीवन शैली है। साधु की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सज्जन पुरुष ही साधु हैं और उनका अनुकरण करने वाले श्रावक। अपने वक्तव्य में उन्होंने पञ्चपरमेष्ठी की नई व्याख्या भी प्रस्तुत की। भगवान् पार्श्वनाथ के जीवन के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किये और इस दिशा में आगे शोधकार्य हेतु युवा विद्वानों का आह्वान भी किया। ___दिनांक १२ जनवरी को आचार्य श्री सन्मतिसागर के संघस्थ मुनि सुनीलसागर जी द्वारा अनूदित और डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' द्वारा सम्पादित वसुनन्दि श्रावकाचार का विमोचन भेलूपुर, वाराणसी स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर में हुआ। इस ग्रन्थ के प्रकाशन का पूर्ण व्यय दिगम्बर जैन समाज, वाराणसी ने वहन किया जिससे विद्यापीठ इस ग्रन्थ का प्रकाशन कर सका। ____ व्यस्ततावश संस्थान के निदेशक महोदय जयपुर में आयोजित संगोष्ठी में नहीं पहुँच सके। प्रो० भागचन्द्र भास्कर व डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय २६ जनवरी को फरीदाबाद पहुँचे और वहाँ उन्होंने प्रबन्ध समिति की बैठक में भाग लिया। २८ जनवरी की शाम ये लोग अहमदाबाद रवाना हो गये। ३० जनवरी को वहां पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित Multi Dimensional Application of Anekāntavada नामक पुस्तक के विमोचन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर नवीन इन्स्टिट्यूट ऑफ स्पिरीचुअल डेवलपमेण्ट, अहमदाबाद और पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा संयुक्त रूप से एक सङ्गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के मार्गदर्शक प्रो० सागरमल जैन जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसी समय दोनों संस्थाओं के बीच शैक्षणिक सहयोग पर भी सफल चर्चा हुई और फलस्वरूप एक प्रारूप भी तैयार किया गया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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