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________________ १०८ कवि का समय साधारण तौर पर आठवीं शताब्दी माना जाता है पर उनके ग्रन्थ के अन्तरावलोकन से यह समय एक-दो शताब्दी और भी आगे बढ़ सकता है - शिव तत्त्व के सन्दर्भ में निम्नलिखित श्लोक विशेषरूप से द्रष्टव्य हैं शंभुरीशः पशुपतिः शिवः शूली महेश्वरः । ईश्वर: सर्व ईशानः शंकर चन्द्रशेखरः ।। भूतेशः खण्ड परशुः गिरीशो गिरिशो मृडः । मृत्युञ्जयः कृतिवासाः पिनाकी प्रथमाधिपः । । उप्र : कपर्दी श्रीकण्ठः शितिकण्ठः कपालभृत् । वामदेवो महादेवो विरुपाक्ष त्रिलोचनः ।। कृशानुरेता:. सर्वज्ञो धूर्जटिर्नीललोहितः । हरः स्मरहरो भगत्रयम्बकः त्रिपुरान्तकः ।। गंगाधरो अन्धकरिपुः क्रतुध्वंसी वृषध्वजः । व्योमकेशो भवो भीमः स्थाणू रुद्र उमापतिः ।। १-३०-३४ इन श्लोकों में आबद्ध ४८ नामों के दार्शनिक विकास की ओर यदि हम दृष्टिपात करें तो हमें लगता है कि इन सबका विकास कुल मिलाकर लगभग दशवीं शताब्दी तक स्थिर हो जाता है। यहाँ हम शिव के ऐतिहासिक तत्त्व पर विचार नहीं करना चाहेंगे परन्तु यदि उपलब्ध सभी शिवस्तोत्रों में शिव के विशेषण खोजे जायें तो उनसे शिव के समग्र दार्शनिक तथ्यों पर भली-भाँति प्रकाश पड़ सकता है । किन अर्थों में वे पशुपति कहलाये और कैसे उनको प्रथमाधिप और शितिकण्ठ कहा गया, किस तरह उनके साथ कपाल साधना जुड़ी, किस तरह उनको वामदेव माना गया, वृषभध्वज का तात्पर्य क्या है और किस प्रकार रुद्र से उमापति होते हुये शिव बने। इसका पूरा इतिहास इन सारे शब्दों में अन्तर्निहित है। शिव के ४८ नाम भारतीय कला में भी उट्टंकित हुए हैं। मथुरा आदि अनेक स्थानों पर प्राप्त शिव की मूर्तियों में शिव के सारे रूप उत्कीर्ण हुये दिखाई देते हैं। स्थानाभाव के कारण इन सारी बातों पर फिलहाल हम वर्णन नहीं कर पा रहे हैं परन्तु इतना अवश्य कहना चाहेंगे कि अमरकोष के आधार पर समूचा शैव दर्शन एवं संस्कृति का एक सुन्दर चित्र खीचा जा सकता है। शिव के आस-पास रहने वाले देव, किंकर स्थान, व्यक्तित्व आदि सब कुछ इसी के ईर्द गिर्द समाहित हो जाते हैं। वस्तुत: यह एक विस्तृत शोध का विषय है। इस विषय पर हम भविष्य में विस्तार से लिखने का प्रयत्न करेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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