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________________ २. सातभव- दोनों में १. श्रीवर्मा, २. श्रीधरदेव, ३. अजितसेन, ४. अच्युतेन्द्र, ५. पद्मनाभ, ६. वैजयन्तेश्वर और ७. चन्द्रप्रभ - इन सात भवों का एक जैसा उल्लेख। आयु- दोनों में श्रीधरदेव, अच्युतेन्द्र और वैजयन्तेश्वर की आयु आदि की समानता। ४. नाम- दोनों में श्रीवर्मा, अजितसेन, पद्मनाभ और चन्द्रप्रभ के जन्मादिस्थानों एवं पारिवारिक व्यक्तियों के प्राय: समान नाम। मुनिदर्शन-- दोनों में चिन्ता मिटाने के लिए राजाओं के मुनिदर्शन का प्रायः समान वर्णन। मुनिदीक्षा— दोनों में पुत्र के वयस्क होने पर पिता के दीक्षित होने का एक-सा वर्णन। संख्या - दोनों में चन्द्रप्रभ के गणधरों, पूर्वधारियों, उपाध्यायों, अवधिज्ञानियों, वैक्रियर्द्धिक महर्षियों, मनापर्ययज्ञानियों, वादियों, आर्यिकाओं, श्रावकों और श्राविकाओं की समान संख्या। छन्द- दोनों में चरित की समाप्ति में शार्दूलविक्रीडित छन्द में निबद्ध दो-दो श्लोकों की रचना। ९. भवों का उल्लेख- दोनों में एक-एक पद्य में सतों भवों का एक-सा उल्लेख।६ वैषम्य चन्द्रप्रभचरित तथा उत्तरपुराण में भ० चन्द्रप्रभ के सातों भवों के वर्णन में जो वैषम्य है, उसका विवरण इस प्रकार हैविषय चन्द्रप्रभचरित उत्तरपुराण १. पुत्र न होने पर चिन्तित श्रीषेण की पत्नी श्रीकान्ता श्रीषेण २. चिन्तित होने पर चारणमुनि अनन्त के दर्शन पुरोहित से भेंट ३. पत्र न होने का कारण श्रीकान्ता का पिछले जन्म x का निदान ४. गर्भाधान से पहले श्रीकान्ता को चार स्वप्न ५. श्रीषेण के दीक्षागुरु श्रीप्रभ मुनि श्री पद्मजिन ६. श्रीषेण का दीक्षोद्यान शिवंकर - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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