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________________ १८२ के कर कमलों द्वारा आचार्य श्री कलापूर्णसूरि जी म०सा० द्वारा रचित व हरिद्वार मन्दिर न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक “मिले मन भीतर भगवान्' का लोकार्पण हुआ। इस धर्मसभा में हरिद्वार क्षेत्र के पाँच मुख्य धर्माचार्यों ने भी भाग लिया और सभी ने अपने-अपने प्रवचनों में जहाँ जैन मन्दिर की स्थापना पर हर्ष व्यक्त किया वहीं जैन धर्म के स्याद्वाद, अनेकान्तवाद आदि सिद्धान्तों का भारतीय परम्परा में जो सामञ्जस्य स्थापित है उसका विशद् विवेचन कर श्रावक-श्राविकाओं को मुग्ध कर दिया। विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन के सापेक्षवाद की भी इस सन्दर्भ में व्याख्या की गयी। अन्त में नवकार महामन्त्र आराधक श्री शशिकान्त भाई मेहता का भाव-विभोर कर देने वाला प्रवचन हुआ जिसे सुनकर तीर्थ के न्यासियों ने उनसे नवकार आराधना शिविर हरिद्वार तीर्थ में आयोजित करने का अनुरोध किया। यह शिविर सितम्बर, १९९९ के अन्तिम सप्ताह में अथवा अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में आयोजित होने की सम्भावना है। श्री रमेशमुनि नी ठाणा ९ चातुर्मासार्थ अहमदनगर में अहमदनगर २२ जुलाई : स्व० आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म०सा० के शिष्य श्री रमेशमुनि जी, उपप्रवर्तक डॉ० राजेन्द्रमुनि जी आदि ठाणा ९ तथा महासती श्री पुष्पवती जी म०सा० की सुशिष्या श्री रत्नज्योति जी ठाणा ३ का अहमदनगर में चातुर्मासार्थ मंगलप्रवेश दिनांक २२ जुलाई को सम्पन्न हुआ। नगर प्रवेश के इस समारोह में बड़ी संख्या में समाज के गणमान्य व्यक्तियों एवं श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। मुनि श्रीमणिप्रभसागर जी का चातुर्मासार्थ दिल्ली में प्रवेश श्वेताम्बर मूर्तिपूजक आम्नाय के प्रमुख अंग खरतरगच्छ के मुनि श्री मणिप्रभ सागरजी महाराज के चातुर्मासार्थ दिल्ली में नगर प्रवेश के शुभ अवसर पर स्थानीय जैन समाज द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली की मुख्यमन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित, केन्द्रीय शहरी विकास मन्त्री श्री जगमोहन, दिल्ली के शिक्षा मन्त्री श्री योगानन्द शास्त्री, पूर्व सांसद श्री जयप्रकाश अग्रवाल, न्यायमूर्ति श्री यू० एन० भानावत, कोटा मुक्त विश्वविद्यालय की डॉ० सुषमा संघवी तथा जैनसमाज गणमान्य लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस अवसर पर मुनिश्री द्वारा तस्मै श्री गुरुवे नमः नामक पुस्तक तथा श्री ललित नाहटा द्वारा सम्पादित पत्रिका स्थूलभद्रसन्देश के दो अंकों— स्व० श्री हरखचन्द नाहटा जन्म जयन्ती विशेषांक व जहाज मन्दिर के भाई जी विशेषांक का भी विमोचन सम्पन्न हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525038
Book TitleSramana 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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