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________________ १११ इस उद्देश्य की प्राप्ति में चारित्रिक विशुद्धि एक आवश्यक तत्त्व है, जो तपस्या से उसी तरह जुड़ा हुआ है जिस तरह शरीर से त्वचा । इसी प्रकार मन को विशुद्ध करने के लिए ध्यान-साधना भी की जाती है, जिसमें शरीर, श्वासोच्छवास आदि पर चिन्तन-मनन किया जाता है। मन विशुद्ध न हो, मिथ्यात्व से भरा हो तो ऐसे तप को तप नहीं कहा जा सकता और न ही उसे आध्यात्मिक साधना का अंग ही माना जा सकता है क्योंकि ऐसा तप शरीर को कष्ट देने के अतिरिक्त कुछ नहीं है। इस प्रकार मोक्ष की साधना में तपोयोग का सर्वाधिक महत्त्व है। संवर और निर्जरा का उत्तरदायित्व तपोयोग का ही होता है। तपोयोग की साधना में आहारशुद्धि, कायक्लेश, इन्द्रियसंयम और ध्यान - ये चार सूत्र हैं, जिनसे व्यक्ति में चिन्तन, अनुप्रेक्षा और भावना आता है तथा समता की प्राप्ति होती है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि तपस्या वृद्धावस्था में ही नहीं की जाती है, बल्कि वह उस समय भी की जानी चाहिए जब सारी इन्द्रियाँ अपने भरे यौवन पर हों । अन्यथा इन्द्रिय विजयी कैसे कहा जा सकेगा। वृद्धावस्था में सारी इन्द्रियाँ वैसे ही दुर्बल हो जाती हैं। विवश होकर व्यक्ति इन्द्रियभोग नहीं कर पाता । इन्द्रियों के दुर्बल होने पर यदि इन्द्रिय विजय की बात कही जाये, तो वह मात्र धोखा देना ही होगा। जिसने सारी जिन्दगी रावण की सेवा की हो वह मरते वक्त राम का नाम कैसे ले सकता है। संस्कार जैसे होंगे, अन्तिम समय भी वही संस्कार रहेंगे । इसलिए जैनधर्म प्रतिस्रोतगामी माना जाता है, संघर्षशील कहा जाता है। तप का यही रूप और स्वरूप है। सन्दर्भ विसयकसायविणिग्गहभावं काऊण झाण-सज्झाए । जो भाव अप्पाणं तस्स तवं होदि णियमेण । । कर्मक्षयार्थं तप्यते इति तपः । - स०सि० ९ ६ । वो णाम तावयति अट्ठविहं कम्मगंठिं नासेतित्ति वृत्तं भवइ । १, पृ० १५ । चरणम्मि तम्मि जो उज्जमो य आडंजणा यजो होई । सो चेव जिणेहिं तवो भणिदो असढं चरंतस्स ।। इह परलोयसुहाणं णिरवेक्खो जो करेदि समभावो । विविहं कायकिलेसं तवधम्मो णिम्मलो तस्स ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only बा० अणु० ७७ । - दशवै ० चू० भ० आ० १०। का० अनु० ४००। www.jainelibrary.org
SR No.525038
Book TitleSramana 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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