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________________ जैन- जगत् इस संगोष्ठी में प्रो० सत्यरंजन बैनर्जी, डॉ० के० आर० चन्द्रा, डॉ० जीतेन्द्र बी० शाह, प्रो० प्रेम सुमन जैन, डॉ० धर्मचन्द जैन, प्रो० विमल प्रकाश जैन, डॉ० जगतराम भट्टाचार्य, डॉ० दीनानाथ शर्मा, डॉ० सलोनी जोशी, डॉ० कमलेश कुमार जैन, डॉ० अरुणा आनन्द, समणी कुसुम प्रज्ञा, पं० रूपेन्द्र कुमार पगारिया आदि विद्वानों के अलावा पार्श्वनाथ विद्यापीठ के सम्मान्य निदेशक प्रो० सागरमल जैन, विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह एवं शोधछात्र श्री अतुल कुमार प्रसाद सिंह ने भाग लिया। संगोष्ठी तीन सत्रों में चली। प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो० मधुसूदन ढांकी, द्वितीय सत्र की प्रो० सत्यरंजन बैनर्जी और तृतीय सत्र की प्रो० सागरमल जैन ने की। इस अवसर पर संगोष्ठी की आयोजक संस्था द्वारा प्रो० मधुसूदन ढांकी को श्रीहेमचन्द्राचार्यचन्द्रक भी प्रदान किया गया। : १९७ मुनिश्री अजयसागर जी म०सा० के विशेष अनुरोध पर प्रो० सागरमल जैन दि०१२/४/९९ को श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा पधारे, जहाँ संस्था की ओर से आपका सम्मान किया गया वहाँ आपने विद्वान् मुनिजनों व संस्थान के अधिकारियों के समक्ष जैन धर्म-दर्शन के शोध की प्रक्रिया के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। चेन्नई में अक्षय तृतीया का समारोह सम्पन्न चेन्नई १९ अप्रैल : पूज्य श्री सुमन कुमार जी० म०सा० ठाणा ३ तथा महासती श्री कौशल्या कुमारी जी म०सा० एवं महासती श्री धर्मशीला जी म०सा० ठाणा - १० के पावन सानिध्य में स्थानीय जैन भवन में अक्षय तृतीया का समारोह सानन्द सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर महासती कौशल्या कुमारी जी द्वारा लिखित दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ तथा महावीर फाउन्डेशन फॉर हेन्डीकेप द्वारा स्थानीय शासकीय चिकित्सालय को ५१ हजार रुपये प्रदान किये गये और हर मास १० पोलियो ग्रस्त लोगों की निःशुल्क शल्य चिकित्सा कराने की घोषणा की गयी । महावीर पुरस्कार १९९९ एवं पूरणचन्द्र रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार १९९९ के लिये चनायें आमंत्रित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, महावीर जी द्वारा संचालित जैन विद्या संस्थान, श्री महावीर जी के वर्ष १९९९ के महावीर पुरस्कार के लिये जैन धर्म-दर्शन, इतिहास, साहित्य, संस्कृति आदि से सम्बन्धित किसी भी विषय की पुस्तक या शोध-प्रबन्ध की चार-चार प्रतियाँ दिनांक ३० सितम्बर १९९९ तक आमंत्रित की जा रही हैं। प्रथम स्थान प्राप्त कृति को महावीर पुरस्कार ११००१/- रुपये नकद एवं प्रशस्तिपत्र तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525037
Book TitleSramana 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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