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________________ लेख वर्ष अंक Jain Education International १८६ ४२ २१ ७-१२ ३ ७-८ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री प्रेमचंद जैन श्री माईदयाल जैन डॉ० के० आर० चन्द्र श्री प्रेमचंद जैन श्री अगरचंद नाहटा श्री श्रेयांसकुमार जैन श्री रविशंकर मिश्र डॉ० कमलेश कुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री कुन्दनलाल जैन श्री अगरचंद नाहटा ई० सन् १९६७ १९५३ १९९१ १९७० १९६४ १९७७ ४११ पृष्ठ २-९ ७-११ ११-१५ ९८-२४ ६३-६४ १७-२२ ७०-७७ " २९ मुनिरामसिंहकृत ‘पाहुडदोहा' एक अध्ययन मूक साहित्यसेवी : श्री पन्नालालजी मूलअर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना मूलाचार मेघदूत की एक अज्ञात बालबोधिका पंजिका मेघविजय के समस्यापूर्ति काव्य मेरुतुंग के जैनमेघदूत का एक समीक्षात्मक अध्ययन मेवाड़ में चित्रित कल्पसूत्र की एक विशिष्ट प्रति योगनिधान रघुवंश की अज्ञात जैन टीका रस-विवेचन : अनुयोगद्वार सूत्र में रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव -क्रमशः For Private & Personal Use Only v ४८ १-३ १६ १६ १६ १९७७ १९९७ १९६३ १९७६ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६९ १२ ४ ५ ६ श्री प्रेमचन्द्र जैन २४-२६ २१-३२ ३१-३२ २३-२९ २६-३१ १२-१७ १२-१७ १५-१९ २३-३१ x 9 www.jainelibrary.org राजस्थानी के विकास में अपभ्रंश का योगदान श्री रमेशचन्द्र जैन m
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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