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________________ वर्ष अंक Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचंद नाहटा श्री अगरचन्द नाहटा १२ १० १२५ ई० सन् १९६१ १९६१ १९७१ १९५५ १९७८ १९८४ १९६४ १९९१ १९७० २९ ३९४ लेख एक अज्ञात ग्रन्थ की उपलब्धि एक अज्ञात जैनमुनि का संस्कृत दूत काव्य “हंसदूत” एक अप्रकाशित प्राचीन प्राकृत सूत्र का अध्ययन एक आश्चर्यमय ग्रन्थ उत्तराध्ययन: नामकरण व कर्तृत्व उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र : धार्मिक काव्य उपदेशमाला (धर्मदासगणि) एक समीक्षा उपा० भक्तिलाभरचित न्यायसारअवचूर्णि ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची ऋचायें : एक- अध्ययन ऋषिभाषित का अन्तस्तल ऋषिभाषित का परीक्षण ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन कर्मप्राभृत अथवा षटखण्डागम: एक परिचय कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव कतिपय जैनेतर ग्रथों की अज्ञात जैन टीकाएं पृष्ठ २९-३० १७-२१ २३-२५ २९-३२ ३-११ २-२६ ४८-५७ ९७१०० १९-२१ ३५ डॉ० सूर्यदेव शर्मा श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री मिश्रीलाल जैन प्रो० कानजी भाई पटेल दीनानाथ शर्मा श्री अगरचंद नाहटा For Private & Personal Use Only १-३ ४२ २१ ४५ डॉ० सागरमल जैन श्री मनोहर मुनि १ १५ ४३ १-३ साध्वी (डॉ०) प्रमोद कुमारी डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री अगरचंद नाहटा ० ० Wm W U १९९४ १९६० १९६४ १९९२ १९६४ १९७२ १९७८ १८५-२०२ ७-८ २६-३१ ६९-७९ २०-२७ ३-९ २६-३१ www.jainelibrary.org mare ३०
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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