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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
__वर्ष अंक महासती उज्जवल कुमारी १ १२ श्री कन्हैयालाल सरावगी। २९५
ई० सन् १९५० १९७८
३८९ पृष्ठ । २६ । १०-१७
लेख सामायिक की सार्थकता सामायिक : सौ सयाने एकमत सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा से संकलित "धर्म की महिमा" सिद्धि का पथ : आर्जवधर्म सिद्धि योग का महत्त्व सिरोही जिले में जैनधर्म सेवा : स्वरूप और दर्शन सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत(क्रमश:)
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श्री गोपीचंद धारीवाल श्रीमती अलका प्रचण्डिया 'दीति' पं० के० भुजबली शास्त्री डॉ० सोहनलाल पाटनी श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री सनतकुमार जैन
१९६७ १९८४ १९७८ १९८२
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१८-२३ १७-१८ २८-२९ ३२-३७ ३-४ ३४-३८ २३-२८ ३५-३६ २५-३१ ८-९
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श्री राजकुमार छाजेड पृथ्वीराज जैन श्री अगरचंद नाहटा
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स्वाध्याय : एक आत्म चिन्तन हजरत मुहम्मद और इस्लाम हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो ? हरिभद्र की श्रावकप्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा: -
आधुनिक संदर्भ में हिंसक और अहिंसक युद्ध हिंसा का बोलबाला Ahimsa in the Ancient East
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डॉ० अरुणप्रताप सिंह अशोक कुमार सिंह श्री ताराचन्द्र मेहता Shri Ram Chandra Jain
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१९९० १९८७ १९६२ १९६५
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