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सम्पादकीय
प्रथम वर्ग में लेखों को
पार्श्वनाथ विद्यापीठ (पूर्व पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान) द्वारा गत ४९ वर्षों से निरन्तर श्रमण नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन होता आ रहा है। इसमें जैनधर्म-दर्शन के विविध पक्षों के महत्त्वपूर्ण लेखों का विशाल संग्रह अब तक प्रकाशित हो चुका है। पहले यह शोध पत्रिका मासिक प्रकाशित होती रही परन्तु अब १९९० से यह त्रैमासिक रूप में प्रकाशित हो रही है। बहुत समय से सुधी पाठकों की मांग थी की श्रमण में प्रकाशित लेखों की सूची का प्रकाशन हो जिससे विद्वत्जन अपने अनुकूल विषयों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर सकें। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व निदेशक और वर्तमान में मार्गदर्शक प्रो० सागरमल जैन की प्रेरणा से यह कार्य प्रारम्भ किया गया। वर्ष क्रमानुसार रखा गया है। द्वितीय वर्ग में लेखकों का करते हुए उनके लेखों की अकारादिक्रम से सूची दी गयी है जिसे श्रमण के अप्रैल-सितम्बर १९९८ के अंक में हम प्रकाशित कर चुके हैं। इस अंक में श्रमण में प्रकाशित लेखों को विषयानुक्रम से रखा गया है। इसके अन्तर्गत सात खण्ड हैं। प्रथम खण्ड में दर्शन - तत्त्वमीमांसा और ज्ञान मीमांसा; दूसरे खण्ड में धर्म, साधना, नीति एवं आचार, तीसरे खण्ड में आगम एवं साहित्य; चौथे खण्ड में इतिहास, जैन पुरातत्त्व एवं कला; पांचवें खण्ड में समाज एवं संस्कृति; छठे खण्ड में तुलनात्मक विषयों और अन्तिम खण्ड में शेष विविध विषयों को रखा गया है।
वर्ण
क्रमानुसार वर्गीकरण
इस सूची को तैयार करने में मुझे विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० विजय कुमार जैन, डॉ० सुधा जैन और डॉ० असीम कुमार मिश्र से सहयोग प्राप्त हुआ है। अक्षर सज्जा राजेश कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण कार्य डिवाइन प्रिंटर्स ने पूर्ण किया है। मैं इन सभी का हृदय से आभारी हूँ ।
इस सूची को तैयार करने में जो भी त्रुटियां रह गयी हैं उनके लिए पाठक क्षमा करने की कृपा करेंगे ऐसी प्रार्थना है।
शिव
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सम्पादक
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