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श्रमण : अतीत के झरोखे में . लेखक श्री एस० एस० गुप्त श्री कैलाशचन्द्र जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार पं० कैलाशचन्द्र जी श्री धनदेवकुमार 'सुमन'
एक दुनियाँ और एक धर्म एक पत्र एक प्रतिक्रिया एक समस्या ऐसा क्यों ? कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च-शिक्षण क्रमशः
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२० १९३ १
ई० सन् १९५७ १९६९ १९६८ १९५० १९५४
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४-७ २५ ३५ । २१-२५ २१-२६
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म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य
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कल्चुरीकालीन भगवान् शांतिनाथ की प्रतिमाएँ कश्मीर की सैर
श्री शिवकुमार नामदेव पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री
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१९५२ १९५२ १९७२ १९५४ १९५४ १९५४ १९७१ १९६२ १९६२ १९७८ १९५३
२४-३२ २७-३१ १४-१५ ३३-३६ २९-३० २५-२७ ३०-३२ २५-२७ ४२-४४ २६-३१ २९-३२
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प्रो० जी० आर० जैन श्री गंगासागर राय
कर्मों का फल देनेवाला कम्प्यूटर काव्य का प्रयोजन : एक विमर्श काव्य में लोक मंगल काव्यशास्त्रियों की दृष्टि में श्लेष काश ! मैं अध्यापिका होती !
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श्री श्रेयांसकुमार जैन सुश्री शरबती जैन