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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४८२ लेख श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक श्रमण एवं ब्राह्मण परम्परा में परमेष्ठी पद संस्कृत और प्राकृत का समानान्तर अध्ययन संस्कृत शब्द और प्राकृत अपभ्रंश सम्राट अकबर और जैनधर्म सर्वोदय और जैन दृष्टिकोण सांख्य और जैन दर्शन साम्यवाद और श्रमण विचारधारा स्थानाङ्ग और समवायाङ्ग - क्रमशः "" स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या स्यादवाद एवं शून्यवाद की समन्वयात्मक दृष्टि हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा हिन्दू-बनाम जैन हेल्मुथफोन ग्लासनप और जैनधर्म ७- विविध अध्ययन : एक सुझाव श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री धन्यकुमार राजेश साध्वी (डॉ०) सुरेखा जी श्री श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० सागरमल जैन श्री महावीरचंद धारीवाल डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री पृथ्वीराज जैन पं० बेचरदास दोशी 33 डॉ० अशोककुमार सिंह डॉ० (कु० ) रत्ना श्रीवास्तव डॉ० अरुणप्रताप सिंह प्रो० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य श्री सुबोधकुमार जैन श्री महेन्द्र राजा वर्ष २३ ४३ २७ २८ ४८ 62 १५ २८ १५ १५ ४७ ४३ ४४ ६ २१ ८ अंक १० १-३ २ ८ ४-६ ९ vor o १० १०-१२ १-३ १०-१२ ४ १२ १ ई० सन् १९७२ १९९२ १९७५ १९७७ १९९७ १९६४ १९७७ १९४९ १९६४ १९६४ १९९६ १९९२ १९९३ १९५५ १९७० १९५६ पृष्ठ ३-९ ५५-६७ ३-८ १८-२० ७१-७६ ३३-३६ १४-१९ २२-२७ २-६ २-८ ३६-५२ ९१-१०२ १४-१८ ३८-४० १३-१७ १२-१४
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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