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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख जैनदर्शन की पृष्ठभूमि में ईश्वर का अस्तित्त्व जैनदर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप जैनदर्शन के सन्दर्भ में भाषा की उत्पत्ति जैनदर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान जैनदर्शन में अनेकान्तवाद का स्वरूप जैनदर्शन में आत्मस्वरूप जैनदर्शन में कथन की सत्यता जैनदर्शन में कर्मवाद की अवधारणा जैनदर्शन में ज्ञान का स्वरूप जैनदर्शन में नैतिकता की सापेक्षता जैन तत्त्वविद्या में 'पुद्गल' की अवधारणा जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन दर्शन जैन दर्शन में जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया जैन दर्शन में जीव का स्वरूप जैन दर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० विनोदकुमार तिवारी "" डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव कु० अर्चना पाण्डेय डॉ० विनोदकुमार तिवारी श्री भिखारीराम यादव डॉ० उदयचन्द जैन सुश्री अर्चना पाण्डेय कु० प्रमिला पाण्डेय डॉ० रामजी सिंह डॉ० सागरमल जैन श्री अम्बिकादत्त शर्मा डॉ० भिखारीराम यादव श्री उदय मुनि श्री अम्बिकादत्त शर्मा श्री विजय कुमार कु० कमला जोशी वर्ष ३६ ३३ २४ ३७ ३४ ३२ ३६ www ३६ २३ २४ x w ४६ m m ३९ ३९ २९ ३८ ३७ ४० अंक १) १२ J J १० ॐ m m ४-६ १ १० ११ or ov ११ ३५५ ई० सन् १९८५ १९८२ १९७३ १९८६ १९८३ १९८१ १९८५ १९८५ १९७२ १९७३ १९९५ १९८७ १९८८ १९७७ १९८७ १९८६ १९८९ ४१-४५ पृष्ठ ९-११ १२-१५ ३१-३५ ११-१८ १८- २१ १-९ १-११ ६-९ २२-२७ २७-३२ १२३-१३३ ६-१५ १-२६ १४-१७ २-९ ९-१५
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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