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________________ ४७० Jain Education International लेख १४ ४३ For Private & Personal Use Only विश्वशांति का आधार-गाँधीवाद विश्व अहिंसा संघ और प्रवृत्तियाँ वीतराग महावीर की दृष्टि वीरसंघ और गणधर वैदिक साहित्य में जैन परम्परा वैशाली के गणतंत्र की एक झाँकी व्यक्ति और समाज व्यक्ति और समाज व्यक्ति पहले या समाज शान्ति की खोज में शांति के अग्रदूत-भगवान् महावीर शासनप्रभावक आचार्य जिनप्रभसूरि शास्त्र और सामाजिक क्रान्ति शिक्षा और उसका उद्देश्य शिक्षा का जहर शिक्षा के दो रूप श्रमण : अतीत के झरोखे में ... लेखक १६ श्री नरेन्द्रकुमार जैन ५ डॉ० बूलचन्द जैन १४ श्री ज्ञान मुनि १० श्री श्रीरंजन सूरिदेव प्रो० दयानन्द भार्गव डॉ० इन्द्र श्री रतन पहाड़ी डॉ० सागरमल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री प्रवीणऋषि जी सुश्री शशिप्रभा जैन १४ श्री अगरचन्द नाहटा पं० सुखलाल जी १२ श्री एस० आर० शास्त्री श्री उमाशंकर त्रिपाठी .18 om uw w o xura a w or some ई० सन् १९६५ १९५४ १९६३ १९५९ १९५७ १९९२ १९५४ १९५० १९८२ १९७४ १९८० १९६३ १९७६ १९६१ १९५७ १९५६ १९५५ पृष्ठ १९-२८ ३७-४० ६-८ । ११-१३ ३५-३८ ९-१३ २८-३० २०-२४ ३-४ २८-३१ १७-१९ ४.९-५२ १३-२० ९-१२ ३४ २५ ३१ २८ ४-७ www.jainelibrary.org ३० २७
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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