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________________ Jain Education International ४१ अंक ७-९ ४-६ १२ ४ ३३ For Private & Personal Use Only ४६४ श्रमण : अतीत के झरोखे में .. लेख लेखक वर्ष भारतीय राजनीति में जैन संस्कृति का योगदान श्री इन्द्रेशचन्द्र सिंह ४१ भारतीय संस्कृति का समन्वित रूप डॉ० सागरमल जैन ४-५ भारतीय संस्कृति के विकास में श्रमण धारा का महत्व डॉ० कोमलचन्द जैन ३५ भिगमंगा मन डॉ० रतनकुमार जैन भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति एवं विकास डॉ० अरुणप्रताप सिंह भिक्षु संघ और समाजसेवा भिक्षु जगदीश काश्यप मंगलमय महावीर प्रो० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य मंदिरों के झगड़े और जैन समाज श्री ऋषभदास रांका २ मन की लड़ाई उपाध्याय अमरमुनि ३१ मनुष्य प्रकृति से शाकहारी डॉ० महेन्द्रसागर प्रचण्डिया ममता महात्मा भगवानदीन. ३२ मनुष्य की परिभाषा श्री महावीरप्रसाद गैरोला मनुष्य की प्रगति के प्रति भयंकर विद्रोह मुनिश्री आईदान जी महाराज महत्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षा वृत्ति श्री अगरचंद नाहटा ___३१ महाकवि स्वयंभू और नारी डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन महाकवि रत्नाकर के कतिपय अध्यात्म गीत पं० के० भुजबली शास्त्री ई० सन् १९९० । १९९४ १९८४ १९८२ १९८० १९५० १९५२ १९५१ । १९८० १९८१ १९८० १९८० १९५४ पृष्ठ २७-३४ १२९-१३४ १५-२४ २१-२८ १७-२० १३-१६ २३-२४ २८-३२ १३-१६ ३२-३४ ३-४ १४-१६ १८-१९ ६ - Gm m mm_. <3 १० २ www.jainelibrary.org १९८० १९७४ १९६८ १३-१४ ३-७ २३-२५ २०
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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