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________________ Jain Education International वर्ष अंक ई० सन् १९५० . ४२ ३६ २८ २९ I am a orm oor s श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो? श्रीमती यमुनादेवी पाठक पाण्डवपुराण में राजनैतिक स्थिति सुश्री रीता विश्वनोई पाप का घट मुनि महेन्द्रकुमार पार्श्वनाथचरित में प्रतिपादित समाज श्री जयकुमार जैन पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक श्री गुलाबचन्द जैन पं० सुखलाल जी पितृहीन डॉ० इन्द्र पुरुषार्थ के प्रतीक पं० सुखलाल जी साहू श्रेयांसप्रसाद जैन पौराणिक साहित्य में राजनीति श्री धन्यकुमार राजेश प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी : एक परिचय श्री गुलाबचन्द जैन प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि में - बुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया डॉ० सागरमल जैन प्रतिक्रिया है दु:ख युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञापुरुष साध्वीरत्न श्री विचक्षण श्री जी प्रज्ञामूर्ति श्री रमेशमनि शास्त्री प्रभावशाली व्यक्तित्व (मनोवैज्ञानिक लेख) श्री कोमल जैन प्राकृत हिन्दी कोश के महान् प्रणेता : पं० हरगोविन्ददास श्री अगरचन्द नाहटा प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य एवं परम्पराएँ डॉ. जगदीशचन्द्र जैन प्राचीन जैन आगमों में राजस्व व्यवस्था डॉ० अनिलकुमार सिंह प्राचीन जैन ग्रंथों में कृषि डॉ० अच्छेलाल यादव ४५७ पृष्ठ । २९-३३ ७५-८६ ११-१३ ३-९ ३-५ २५-२९ ४८-४९ ३-१३ ५५ ।। १९८५ १९७७ १९७८ १९५४ १९८२ १९७१ १९८१ २३ For Private & Personal Use Only . ४६ ४-६ ३३ १६६-१६९ २-६ १९९५ १९८२ १९८१ १९८१ १९५७ ३५ ३३ ३२ ě or soos or a x २८ १९७७ www.jainelibrary.org ५ १०-१२ १-३ १९९२ १९९६ १९७३ . १२-१४ १९-२२ १३-१९ ११-१९ २४-२७
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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