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________________ Jain Education International ४४८ लेख वर्ष ४५ ४२ ३८ १७ १० ३४ अंक ४-६ ४-६ १० ११ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह श्री सुभाषमुनि 'सुमन' श्री कृष्णलाल शर्मा श्री भंवरमल सिंघी डॉ० सागरमल जैन स्व० श्री अगरचन्द नाहटा मुनि रूपचन्द श्री जसकरण डागा डॉ० अरुणप्रताप सिंह मुनि पुण्यविजय जी श्री कोमलचन्द जैन श्री गणेशप्रसाद जैन जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ ॐ जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता जैन और बौद्ध दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन जैन उपाश्रय व्यवस्था और कर्मचारी तंत्र ' जैन एकता एकता का प्रश्न एकता का स्वरूप व उसके उपाय एकता संभव कैसे? जैन एकता : सूत्र व सुझाव जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना जैन ज्ञान भण्डारों पर एक दृष्टिपात जैन और बौद्ध आगमों में विवाह पद्धति जैन तीर्थंकरों का जन्म क्षत्रियकुल में ही क्यों ? ३४ ई० सन् __ १९९४ १९९१ १९८७ १९६६ १९५९ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८४ १९५३ १९६३ १९७८ १९८० १९८३ १९५१ १९७५ mr or r » v u 9 3 me पृष्ठ १६२-१७२ ६३-७२ ६-१७ २७-३३ ३५-३७ १-२७ १-२१ २८-३२ २२-४१ १-१६ १-७ १८-२२ २१-२५ १५-१८ २-५ २१-२६ १४-१८ * , * * * * ๒ www.jainelibrary.org जैनत्व का गौरव और हम जैनत्व या जैन चेतना जैन दर्शन में नारी मुक्ति श्री हर्षचन्द प्रो० विमलदास जैन कु० चन्द्रलेखा पंत २६
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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