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________________ ९३ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० अजित शुकदेव अंक Jain Education International ई० सन् पृष्ठ १९७३ । १२-१७ २४ १० २४ २४ २४ श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन डॉ० मनोहरलाल दलाल डॉ० रामजी सिंह श्री कन्हैयालाल सरावगी १० १० १० २४ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १८-२४ २५-२७ २८-३१ ३२-३६ ३-९ २४ For Private & Personal Use Only लेख जैन धर्म में भावना दान, शील, तप, भाव के रचयिता और दानकुलक पाठ महाकवि स्वयंभू के काव्य विचार भारत का प्राचीन जैन केन्द्र : कसरावद जैन दर्शन में मोक्षोपाय आत्मा : बौद्ध एवं जैन दृष्टि महाकथा कुवलयमाला के रचनाकार का उद्देश्य और पात्रों का आयोजन दक्षिण भारत में जैन धर्म, साहित्य और तीर्थ क्षेत्र १ पद्मचरित में शकुनविद्या वंडगच्छ के युगप्रधान दादा मुनिशेखरसूरि महाकवि स्वयंभू का प्रकृति दर्शन प्राचीन भारतीय श्रमण एवं श्रमणचर्या षड्द्रव्य - एक परिचय जैन मंदिर व स्तूप दर्शाण में जैनधर्म २४ २४ २४ ११ १४ डॉ० के० आर० चन्द्र श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री अंगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री डॉ० झिनकू यादव श्री रमेशमुनि शास्त्री कु० सुधा जैन डॉ० मनोहर लाल दलाल १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १०-१३ १४-१८ २९-३५ ३६-३९ ३-५ ६-१२ १३-१५ १६-१९ २०-२४ २४ २४ २४ १२ १२ १२ or www.jainelibrary.org २
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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