SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International लेख अंक ११ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया अगरचन्द नाहटा विमलदास जैन श्रा गुलाबचन्द्र चाधरा श्री हजारीमल जी बांठिया महासती उज्जवल कुमारी श्री देवेन्द्र कुमार श्री कृष्णचन्द्राचार्य मुनि श्री रंगविजय जी रामस्वरूप जैन पं० दलसुख मालवणिया श्री गुलाबचन्द्र चौधरी श्री इन्द्र श्री देवेन्द्र कुमार श्री जेठमल बोथरा पृथ्वीराज जैन गुलाबचन्द्र चौधरी मोहनलाल मेहता जैन और हिन्दू पैंतालीस और बत्तीस सूत्रों की मान्यता पर विचार पर्युषणपर्व संस्कृति-एक विश्लेषण वैराग्य के पथ पर सामायिक की सार्थकता भारतीय समाज का आध्यात्मिक दर्शन जैनत्व की कसौटी सदाचार ही जीवन हो पंजाब में स्त्री शिक्षा न्याय सम्पन्न विभव श्रमण संस्कृति का केन्द्र-विपुलाचल और उसका पड़ोस प्रायश्चित्त श्री तारण स्वामी इंसानियत के उत्तरदायित्वपूर्ण उसूल आचार्य कालक और 'हंसमयूर' नारी के अतीत की झांकी-सतीप्रथा सौन्दर्य का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण . Bor or or or or or or or x rrrrrrrror AMR.AMAR - ~ ~ ~ ~ ~ rar ई० सन् १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० पृष्ठ १६-१७ २४-२९ ३१-४० १३-१६ १७-२५ २६ २७-२९ ३१-३२ ३५-३७ ३८-४० ९-१२ १५-२२ २३-२८ २९-३२ ३३-३८ ३९-४० ११-१८ २५-२८ www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy