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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में तृतीय पुरस्कार : Kalpavrksas- The Benevolent trees (Scientific Interpretaion),9 (2), April 97,63-73, SriS.M.Jain,7-B, Talawandi, Kota-324005 पुरस्कृत लेखकों को क्रमश- ५००१/ ३००१/ एवं २००१/- रूपये की नकद राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। प्राकृत भाषा और साहित्य सम्बन्धी ग्रीष्मकालीन अध्ययनशाला सम्पन्न नई दिल्ली १४ जून : भोगीलाल लहेरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलाजी, दिल्ली द्वारा प्रतिवर्ष मई-जून माह में प्राकृत भाषा और साहित्य के अध्ययन के लिये एक कार्यशाला का आयोजन पिछले १० वर्ष से किया जा रहा है । इसमें समग्र भारत के विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों के ४० वरिष्ठ अध्यापकों एवं शोध छात्र-छात्राओं को पूर्णकालिक अध्येता के रूप में प्रवेश दिया जाता है । इस वर्ष इस अध्ययन शाला का उद्घाटन २४ मई को केन्द्रीय पर्यटन एवं संसदीय कार्यमंत्री श्री मदनलाल खुराना ने किया । अध्ययनशाला के समापन के अवसर पर दि० १४ जून को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की शैक्षणिक निदेशक डॉ० कपिला वात्स्यायन और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम० एन० वेंकटचलैया विशेष रूप से आमंत्रित किये गये थे । इस समारोह में अध्ययनशाला में तीन सर्वोच्च अध्येताओं को पुरस्कार तथा अन्य अध्येताओं को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। इस अवसर पर प्राकृत भाषा और जैन विद्या के शीर्षस्थ विद्वान् प्रो० वामन महादेव कुलकर्णी को वर्ष १९९७ का हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार डॉ० कपिला वात्स्यायन द्वारा प्रदान किया गया। आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्र मुनि जी म. सा० का इन्दौर में भव्य नागरिक अभिनन्दन इन्दौर २८ जून : श्रमण संघीय आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्र मुनि जी म० सा० का चातुर्मासार्थ इन्दौर पधारने पर स्थानीय वैष्णव विद्यालय के विशाल प्रांगण में आयोजित भव्यतम समारोह में विराट जनसमूह के समक्ष नागरिक अभिनन्दन किया गया । इस अवसर पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल माननीय भाई श्री महावीर जी तथा मध्यप्रदेश शासन के कई मंत्री भी आचार्य श्री के सम्मानार्थ उपस्थित थे । इस अवसर पर प्रसिद्ध उद्योगपति एवं सुश्रावक श्री नेमनाथ जी जैन ने चार सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की, जिसके अन्तर्गत व्यसन मुक्ति, रोग मुक्ति तथा समाज के कमजोर वर्गों के लोगों को पौष्टिक पोषण प्रदान करने एवं जैन दर्शन के मानवीय सिद्धान्तों के विशद् अध्ययन व प्रसारण हेतु पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की एक शाखा इन्दौर में इसी चातुर्मास से प्रारम्भ करने की घोषणा की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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