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________________ Jain Education International ३२८ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख भारतीय संस्कृति का समन्वितरूप भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार मन-शक्ति स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के जैनधर्म सम्बन्धी मन्तव्यों की समालोचना महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भगवद्गीता और जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में ४४ महावीर का दर्शन-सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महावीर का जीवन दर्शन महावीर के समकालीन विभिन्न आत्मवाद एवं उसमें जैन आत्मवाद का वैशिष्ट्य ४६ महावीर के सिद्धान्त-युगीन संदर्भ में मूल्य और मूल्यबोध की सापेक्षता का सिद्धांत युगीनपरिवेश में महावीर स्वामी के सिद्धांत व्यक्ति और समाज श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुर संघ-एक विमर्श श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप षट्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण For Private & Personal Use Only ई० सन् १९९४ १९८१ १९९५ १९९४ १९९३ १९८१ १९८६ १९९५ १९८२ १९९२ १९९५ १९८२ १९९२ १९८१ १९८५ १९९३ १९८१ पृष्ठ १२९-१३४ ३-११ ९७-१२२ १७९-१८४ १-१० २-९ ७-९ ५९-६८ ३-२७ १-२२ www.jainelibrary.org ३-४ १५-२३ ७-११ २-६ १३-२१ २-१३ .
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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