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________________ २९ अंक Jain Education International . که کی ८ ६ که که ८ ८ For Private & Personal Use Only लेख इन्द्रभूति गौतम महावीर महान थे अस्पृश्यता का पाप आगम झूठे हैं क्या ? शिक्षा और उसका उद्देश्य स्थूलभद्र हमें सामाजिक मूल्यों को बदलना है बौद्धग्रन्थों में जैनधर्म वहाबी विद्रोह श्रमण संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि अक्षय तृतीया है एक दुनिया और एक धर्म डाक्टर अलबर्ट श्वीटजर संस्कृति की दुहाई हमारा उत्थान कैसे ! है मेघकुमार का आध्यात्मिक जागरण धर्म निरपेक्ष या ईश्वर निरपेक्ष समाजोन्नति सोपान के ग्यारह डंडे (क्रमश:) श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री विजयमुनि शास्त्री प्रो० विमलदास कोंदिया श्री रामकृष्ण जैन पं० दलसुख मालवणिया श्री एस० आर० शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री जमनालाल जैन डॉ० गुलाबचन्द्र जैन श्री महेन्द्र राजा श्री मनोहर मुनि जी श्रीमती कलादेवी जैन श्री एस० एस० गुप्त श्री माईदयाल जैन श्री रिषभदास रांका महासती सरला देवी जी श्री विजयमुनि श्री प्रभाकर गुप्त महात्मा भगवानदीन ८ ८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ -८ ९ ९ ई० सन् १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ पृष्ठ ४३-४८ ५०-५२ ५४-५५ ५६-५९ ४-७ ९-११ १३-१७ १८-२८ ३१-३४ ३५-३८ ४०-४३ ४-७ ८-११ १५-१८ २१-२३ २५-२७ ४-८ १०-१५ ८ ७ ८ ८ www.jainelibrary.org ८ ८ ९ १० १० ८
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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