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________________ २७ लेख Jain Education International अंक १ ८ ई० सन् १९५६ १ १९५६ १ For Private & Personal Use Only अध्ययन : एक सुझाव 'जी' की आत्मकथा - धर्म और दर्शन (क्रमश:) दीपावली : एक साधनापर्व महावीर भूले ? जीवन के दो रूप-धन और धर्म आर्यरक्षित धर्म और दर्शन टमाटर दया-दान की मान्यता प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल संघवी अहिंसा और शिशु शिशु और संस्कृति डॉ० मारीआ मॉन्तेसरि व्यावहारिक क्रियाएँ विद्यालय से माता-पिता का सम्बन्ध मान्तेसरि शिक्षा पद्धति श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेन्द्र राजा प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन, मुनि श्री सुशीलकुमार जी श्री श्रीरंजन सूरिदेव ८ श्री कस्तूरमल बांठिया पं० मुनि श्री आईदान जी डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री मुनि श्री सुशीलकुमार जी आयुर्वेदाचार्य श्री सुन्दरलाल जैन श्री सतीश कुमार 'भैरव' श्री धनपति टुंकलिया श्री ए० एम० योस्तन श्री एस० आर० स्वामी श्री महेन्द्र राजा कु० आरती पात्रा श्रीमती सुशील कु० ऊषा मेहरा पृष्ठ १२-१४ १५-१७ २०-२३ ३३-३५ ४-१५ १६-१८ १९-२२ २३-२८ २९-३१ ३३-३६ ३७-३९ ३-९ १०-१४ १८-२१ २३-२८ २९-३२ ३८-४८ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ . १९५६ १९५६ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ २ २ ८ ३-४ ३-४ ८ ८ ३-४ ३-४ ३-४ www.jainelibrary.org ३-४
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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