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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख Jain Education International अंक my w x ई० सन् १९६० १९६३ २७१ पृष्ठ ४९-५६ ३५-३६ १९८९ १९८९ २४-२५ १०-१४ १९६१ vo orar १३-१४ For Private & Personal Use Only राष्ट्र निर्माण और जैन समाज सेवी स्व० नन्हेमल जी जैन मांगीलाल भूतोड़िया ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्ध _महाकवि माघ ओसवाल थे? मानक चन्द सुख की मूर्ति : दुःख की परछाई मानकचंद पींचा "भारती" आज का युवक धर्म से विमुख क्यों ? मायारानी आर्य आष्टा की परमारकालीन अप्रकाशित जैन प्रतिमाएँ मारुतिनंदन तिवारी उत्तर भारतीय शिल्प में महावीर उड़ीसा में जैन कला एवं प्रतिमा-विज्ञान की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि जालौर में महावीर मन्दिर की शिल्प सामग्री का मूर्ति वैज्ञानिक अध्ययन जैन यक्ष गोमुख का प्रतिमा निरूपण जैन साहित्य और शिल्प में रामकथा जैन साहित्य और शिल्प में वाग्देवी सरस्वती १९८२ २६-२८ २३-२४ १९७८ १९७० १९७३ १९७५ १९७६ १९७७ १९७६ १८-२३ १४-२१ ९-१७ २९-३६ www.jainelibrary.org १९-२१ ३०-३४
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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