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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में २२५ Jain Education International लेख जैन साहित्य का सिंहावलोकन दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म 'धर्म का पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण निश्चय और व्यवहार : पुण्य और पाप न्याय सम्पन्न विभव पार्श्वनाथ विद्याश्रम-एक सांस्कृतिक अनुष्ठान प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र बनारस से जैनों का सम्बन्ध * बौद्धधर्म ॐ भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन भगवान् महावीर का उपदेश और आधुनिक समाज भगवान् महावीर का मार्ग भगवान् महावीर के गणधर भगवान् महावीर : समता-धर्म के प्ररूपक भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय मलधारी अभयदेव और हेमचन्द्राचार्य For Private & Personal Use Only For r rar rer r rm wwwx » ई० सन् १९५७ १९४९ १९४९ १९७४ १९५० १९४९ १९८८ १९५० १९४९ xxm ~~299 ruri पृष्ठ । ३०-४० १७-१९ ९-१३ ३-१० ९-१२ . ३३-३४ ११-२० १५-१८ १९-२२ ९-१५ १७-२२ २०-२२ १-१० १८-२७ ९-२१ ३-४ १-१० १९५० १९८० १९५४ १९५३ १९७४ १९६४ १९५२ १९५२ www.jainelibrary.org re
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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