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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १७६ लेख अरविंद क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे ? अरुण प्रताप सिंह अशोक के अभिलेखों में अनेकांतवादी चिन्तन : एक समीक्षा श्रमण : अतीत के झरोखे में इषुकारीय अध्ययन (उत्तराध्ययन) एवं शांतिपर्व - (महाभारत) का पिता-पुत्र संवाद जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना जैन परम्परा के विकास में स्त्रियों का योगदान जैन भिक्षुणी - संघ और उसमें नारियों के प्रवेश के कारण भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि : एक पुनर्विचार संघ की उत्पत्ति एवं विकास भिक्षुणी हरिभद्र की श्रावक प्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा : आधुनिक संदर्भ में हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा अर्चना पाण्डेय जैन दर्शन के संदर्भ में भाषा की उत्पत्ति जैन दर्शन में कथन की सत्यता जैन भाषा दर्शन की समस्याएँ शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति वर्ष ४ x x x x m w ४४ ४२ ३५ ४४ ३३ ४६ ३१ ४१ ४४ ३७ ३६ ४२ ३६ अंक ४ ९ ई० सन् १०-१२ १९९३ १-३ १९९१ ९ १९८४ १०-१२ १९९३ ४ १९८२ १०-१२ १९९५ १९८० १०-१२ १९९० १०-१२ १९९३ १-३ १९५३ १९८६ १९८५ १९९१ १९८५ पृष्ठ ८-१० ८-१३ ८७-९२ १-१६ १-७ १२-१६ १-४ १७-२० ५७-७० १४- १८ ११-१८ ६-९ ९३-९६ ९-१३
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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