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________________ Jain Education International पृष्ठ » » » ८-१० ११-१५ २१-२२ २३-२५ २९-३२ » » For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे अरविंद अपरिग्रहवाद श्री रघुवीरशरण दिवाकर साध्वी समाज से मुनि श्री आईदानजी 'निर्मल' आरोग्य पं० सुन्दरलाल जैन वैद्यरत्न काश ! मैं अध्यापिका होती ! सुश्री शरबती जैन महामानव की मानसिक भूमिका प्रो० राजबली पाण्डेय संन्यास मार्ग और महावीर पं० दलसुख मालवणिया जैन शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा श्री धनदेव कुमार दौरे के संस्मरण श्री हरजसराय जैन सच्ची साधना का प्रभाव श्री राजाराम जैन महावीर और क्षमा श्री भूपराज जैन भगवान् महावीर और वर्तमान युग नरेशचन्द्र जैन मानवमात्र का तीर्थ पं० सुखलाल जी भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय पं० दलसुख मालवणिया हम किधर बह रहे हैं ? डॉ० इन्द्र क्षमादान जय भिक्खु प्राकृत साहित्य के इतिहास के प्रकारान की आवश्यकता श्री अगरचन्द नाहटा वर्ष अंक ई० सन् ४ ४ १९५३ ।। १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ ४ ५ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ ४ ६ १९५३ ४६ १९५३ ४ ६ १९५३ 3 3 3 3 ७-११ १३-१६ २३-२६ २८-२९ ३०-३४ ३५-३६ १-२ ३-४ ५-१३ १५-१९ २१-२७ u r www.jainelibrary.org u
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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