SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेख वर्ष Jain Education International ३७ ३८ ३८ १३९ पृष्ठ । १-२० २-४ ५-११ १२-१३ १४-१८ १९-२१ ३८ 30 ३८ ३८ २-७ For Private & Personal Use Only धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान तीर्थंकर महावीर की तलस्पर्शी अहिंसा दृष्टि तीर्थंकर महावीर की निर्वाण भूमि ‘पावा' धर्म और आधुनिकता महावीर विहार मीमांसा डॉ० वाल्टेर शुबिंग की जैन विद्या की सेवा तीर्थंकर पार्श्वनाथ : प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता उपासकदशांगसूत्र का आलोचनात्मक अध्ययन भोले नही भले बनिये युवा-दृष्टिकोण शुद्ध-अशुद्ध भावधारा आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता (क्रमश:) समाधिमरण की अवधारणा : उत्तराध्ययन-सूत्र के परिप्रेक्ष्य में पुरातत्त्वविद् स्व० अगरचन्द नाहटा जैन साहित्य में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण भारतीय संस्कृति की अन्तरात्मा मध्यप्रदेश एवं जैन धर्म श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन मुनिश्री नगराज जी गणेशप्रसाद जैन श्रीमती वीणानिर्मल जैन आचार्य विजयेन्द्र सूरि डॉ० सौभाग्यमल जैन 'वकील डॉ० विनोद कुमार तिवारी डॉ० सुभाष कोठारी डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' । सौभाग्यमल जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ डॉ० विनोद कुमार तिवारी श्री रज्जन कुमार श्री भूरचन्द जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ देवेन्द्रमुनि शास्त्री (लेखक का नाम उद्धत नहीं है) <<< ww www mmmmmmm. ई० सन् १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ ३८ ३८ ३८ २८ ३८ ३८३ ३८ ३८ ८-१३ १४-१६ १७-२० २-५ ८-१२ १३-१८ २०-२३ २-५ ६-८ १०-२५ ४ www.jainelibrary.org २१
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy