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वर्ष ३६ ३६
अंक १० १०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैन कर्म-सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास
श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणा का तुलनात्मक अध्ययन रमेशचन्द्र गुप्त । पर्युषण और हमारा कर्तव्य
स्व० श्री अगरचन्द नाहटा महापर्व पर्युषण का पावन सन्देश:अपने आप को परखें आचार्य आनन्दऋषि जी महाराज संवत्सरी की सर्वमान्य तारीख
दिलीप सुराणा भारतीय दर्शनों में अहिंसा
रत्नलाल जैन श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप
डॉ० सागरमल जैन वसुदेवहिण्डी में रामकथा
गणेशप्रसाद जैन पर्वाराधन की एकरूपता का प्रश्न
श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद' प्राचीन जैन साहित्य में शिक्षा का स्वरूप
डॉ० राजदेव दुबे जैन संस्कृति का दिव्य सन्देश-अनेकान्त
मुनि ज्योतिर्धर जैन पर्व दीपावली : उत्पत्ति एवं महत्त्व
डॉ. विनोदकुमार तिवारी जैन दिवाकर मुनिश्री चौथमल जी महाराज विपिन जारोली सिद्धक्षेत्र बावनगजा जी
नेमिचन्द जैन आचार्य सोमदेव का व्यक्तित्व तथा कर्तृव्य कु० मीनाक्षी शर्मा संस्कृत काव्यशास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका धनीराम अवस्थी जैन दर्शन के सन्दर्भ में भाषा की उत्पत्ति
कु० अर्चना पाण्डेय
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१३७ ई० सन् पृष्ठ । १९८५ . १९-२६ १९८५ २७-३७ १९८५ ६-१२ १९८५ १४-१५ १९८५ १६-२२ १९८५ २३-३१ १९८५ २-६ १९८५ ७-१३ १९८५
१४-१५ १९८५ १६-२४ १९८५ २-७ १९८५ १९८५ ६-९ १९८६ २-४ १९८६ १९८६
२-९ १९८६ ११-१८
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२-५
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