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________________ १२९ लेख Jain Education International अंक १२ ३३ २ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक जैन दर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप विनोदकुमार तिवारी संयुक्त निकाय में जैन सन्दर्भ विजयकुमार जैन भगवान् महावीर उपाध्याय अमरमुनि जी तीर्थंकर महावीर का निर्वाण पर्व 'दीपावली' एक समीक्षा गणेशप्रसाद जैन उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय व्यक्तित्व मुनि समदर्शी आज का युवक धर्म से विमुख क्यों? माणकचन्द पींचा "भारती" कवि देपाल की अन्य रचनायें श्री अगरचन्द नाहटा व्यक्ति और समाज डॉ० सागरमल जैन प्रातिभ ज्ञानात्मक चिन्तनः सापेक्ष चिन्तन पाण्डेय रामदास गंभीर मन की शक्ति बनाम सामायिक युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ जैन एकता का प्रश्न डॉ० सागरमल जैन जैन एकता संभव कैसे? मनि रूपचन्द जैन धर्म और युवावर्ग प्यारेलाल श्रीमाल ‘सरस पंडित' ब्रह्मदत्त मुनि श्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' हुबली का श्री शांतिनाथ मंदिर श्री भूरचन्द जैन धर्म क्या है ? डॉ० सागरमल जैन जैनधर्म में अरिहन्त और तीर्थंकर की अवधारणा श्री रमेशचन्द्र गुप्त For Private & Personal Use Only ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ <<l nuw ww www mmmmmभ. ३४१ ३४१ ३४१ ३४ २ पृष्ठ । १२-१५ १६-२३ ५-१४ १५-२० २१-२५ २६-२८ २९-३३ ३-४ ५-१७ १८-२२ १-२७ २८-३२ ३५-३९ ४०-४२ ४३-४५ २-४ ५-९ १९८२ ३४ २ ३४३ ३४ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ • www.jainelibrary.org ३४ ३४ ३४ ३ ४ ४
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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