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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव श्री गणेशप्रसाद जैन श्री डोंगरे महाराज डॉ० सागरमल जैन सोने की चमक अनेकान्त-एक दृष्टि उपाध्याय अमर मुनि श्री ऋषभचन्द जैन फौजदार महत्त्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षावृति श्री अगरचंद नाहटा आर्यारत्न श्री विचक्षण श्री जी म० सा० श्री गुलाबचन्द जैन डॉ० सागरमल जैन संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण अधूरी जोड़ी जैनधर्म की प्रासंगिकता भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार नाथ कौन ? लेख अध्यात्मवाद और भौतिकवाद जीवन दर्शन ईश्वर और आत्मा : जैन दृष्टि जैन तीर्थंकरों का जन्म - क्षत्रिय कुल में ही क्यों जीवन और विवेक धर्म क्या है भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति एवं विकास जैन दर्शन में मुक्ति की अवधारणा उपाध्याय अमर मुनि जी डॉ० निजामुद्दीन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि जी डॉ० अरुण प्रताप सिंह श्री पांडेय रामदास गंभीर वर्ष ३१ m o m ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ अंक ww ६ ६ ७ ८ ८ ८ ८ ८ ८ ८ ८ ९ १० ई० सन् १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८०. १९८० ११९ पृष्ठ १-६ ७-९ १०- १४ १५-१८ १ २-७ ८-९ १०-१२ १३-१४ १६-२३ २-१३ १४-१८ १९-२५ ३-११ १२-१६ १७-२० २-१२
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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