SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०४ Jain Education International अंक ५ २७ लेख जैन तर्क शास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद (क्रमश:) चन्दन-मलयागिरि दिगम्बर रहना क्या महावीर का आचार था? जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:) ई० सन् १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ पृष्ठ १५-१९ २०-२५ २६-३० ३१-३४ २७६ २७ ६ For Private & Personal Use Only श्रमण-आचार: एक परिचय जैनधर्म एवं बौद्धधर्म-परस्पर पूरक जैन तर्कशास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद मूर्त-अंकनों में तीर्थंकर महावीर के जीवन-दृश्य राजस्थान में महावीर-मन्दिर __ जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:) श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री लालचन्द जैन पं० अशोककुमार मिश्र श्री रतिलाल म० शाह डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० कोमलचन्द जैन श्री लालचन्द जैन श्री मारुति नन्दन प्र० तिवारी श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री कमलेशकुमार जैन श्री भूरचन्द जैन कु० मंजुला मेहता श्री प्रेमचन्द रावका २७ २७ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ ३-७ ८-११ १२-२० २१-२५ २६-२८ २९-३१ २७ २७६ 9 २७७ वैशाली का सन्त राजकुमार कवि-स्वरूप : जैन आलंकारिकों की दृष्टि में राणकपुर के जैन मन्दिर त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में महावीर-चरित कालिदास के काव्यों में अहिंसा और जैनत्व १९७६ १९७६ १९७६ 9 ३-७ ८-१२ १३-१५ १६-२२ २३-२६ 9 www.jainelibrary.org १९७६ २७ ७ 9 १९७६
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy