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श्रमण
जैन जगत्
मणिधारी आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि जी म० का ८५७वां
जन्मोत्सव सम्पन्न
पटना, १० सितम्बर बेगमपुर, पटना स्थित चार सौ वर्ष प्राचीन दादावाड़ी में खरतरगच्छालंकार द्वितीय दादा गुरु आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरि जी महाराज का ८५७वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भजन-पूजन आदि के भव्य कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। ज्ञातव्य है कि इस दादावाड़ी में निःशुल्क चिकित्सालय एवं निःशुल्क टीकाकरण केन्द्र भी स्थापित हैं जिससे स्थानीय जन लाभान्वित होते हैं। * उदयपुर में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि का भव्य चातुर्मास
उदयपुर में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म०सा० के चातुर्मास के दौरान विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। महावीर युवा परिषद की ओर से सामूहिक क्षमापना पर्व का आयोजन किया गया जिसमें स्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा के पधारे हुए सन्तों
और साध्वियों के मंगल प्रवचन हुए। इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपने मननीय प्रवचन में विभिन्न रूपकों के माध्यम से 'क्षमा' का विशद विश्लेषण किया। अपने प्रवचन में उन्होंने जैन समाज की एकता पर बल देते हुए इसे अपरिहार्य बताया।
दिनांक २ अक्टूबर को गांधी जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया जिसमें आचार्यश्री ने महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और आदर्शों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक, प्रखर वक्ता प्रो० सागरमल जैन भी उपस्थित थे। अपने ओजस्वी भाषण में प्रो० जैन ने कहा कि गांधीजी ने जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्त अहिंसा को न केवल पढ़ा या सुना बल्कि उसे व्यवहार रूप में परिणित भी किया। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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