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________________ जनम जुलाई-सितम्बर, १९९७ : ११३ - इस संगोष्ठी के आयोजन में डॉ० के० आर० चन्द्र और डॉ० जितेन्द्र बी० शाह की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही । दोनों दिन भोजन की व्यवस्था वक्तावरमलजी बालर, वंसराजजी भंसाली और नारायणचंदजी मेहता तथा निवासादि का प्रबंध सेठ हठीसिंह वाडी ट्रस्ट ने किया था, वे निश्चय ही बधाई के पात्र हैं । पार्श्वनाथ विद्यापीठ में भारतीय चिन्तन में काल की अवधारणा नामक एकदिवसीय संगोष्ठी सम्पन्न काल-चिन्तन भारतीय जनमानस का एक सर्वाधिक गूढ़तम विचारणीय पक्ष है। भारतीय वाङ्मय में इस विषय पर सहस्रों पृष्ठ लिखे जा चुके हैं । लेकिन अभी भी यह प्रायः अपने प्रारंभिक बिन्दु पर ही स्थिर है जब की कालचक्र सदैव गतिमान रहता है। यह मात्र एक दार्शनिक समस्या न होकर व्यावहारिक महत्त्व का एक चिंतनपूर्ण विषय है । अत: इन सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने भारतीय चिन्तन में काल की अवधारणा" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी कराने का निर्णय लिया। विद्यापीठ के मंत्री श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन की अनुमति प्राप्त होने पर इसे मूर्त रूप देने के लिए स्थानीय विद्वानों से सम्पर्क किया गया । अत्यन्त अल्पावधि की सूचना पर भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कई स्थानीय विद्वानों ने संगोष्ठी में अपनी सक्रिय सहभागिता "एवं पत्रवाचन हेतु सहमति प्रदान किया । इसमें प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, अध्यक्ष, दर्शन विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का सहयोग उल्लेखनीय है । दिनांक २८.७.९७ को संगोष्ठी दो सत्रों में संपन्न हुई । प्रथम सत्र: पूर्वाह्न १० बजे से एक बजे तक तथा द्वितीय सत्र अपराह्न २ बजे से ५ बजे तक । प्रथम सत्र : १० बजे पूर्वाह्न - १.०० बजे अपराह्न मंगलाचरण , डा० (श्रीमती) सुधा जैन एवं डॉ० विजय कुमार माल्यापर्ण एंव : श्री बी. एन. जैन, मानद मंत्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ संस्थान परिचय : डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय दीप-प्रज्वलन : मुख्य अतिथि - विद्यावाचस्पति प्रो० विद्यानिवास एवं विषय प्रवर्तन मिश्र, भूतपूर्व कुलपति सं०सं० वि० एवं काशी विद्यापीठ सत्राध्यक्ष : प्रो० कमलेश दत्त त्रिपाठी, संकाय प्रमुख, प्राच्य विद्या, का० हि० वि० वि०, : प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, अध्यक्ष, दर्शन एवं धर्म विभाग, का० हि० वि० वि०, पत्रवाचक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525031
Book TitleSramana 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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