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________________ जैन जगत् : १६७ के द्वारा विद्यापीठ की ओर से माल्यार्पण कर शाल भेंट की गई। इसी क्रम में प्रो०सदर्शनलाल जैन, संस्कृत विभाग, का०हि०वि०वि०, डॉ० कमलेश कुमार जैन, संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय, का०हि०वि०वि०, डॉ० फूलचन्द जी 'प्रेमी', अध्यक्ष-जैनदर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय आदि ने पंडित जी को माल्यार्पण किया। अपने संस्मरणों में उनके सरल, स्वाध्यायी जीवन की प्रशंसा करते हुए उनका अभिनन्दन किया। अपने आशीर्वचन में आदरणीय पंडित जी ने पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए इसके भावी विकास हेतु अपनी शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर यह भी निश्चय किया गया कि पंडित जी के सम्मान में 'श्रमण' का एक विशेषांक निकाला जायेगा। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सर्वप्रथम श्री आर०के०जैन साहब को डी०रे०का० में अपनी यशस्वी सेवाएँ देकर सेवानिवृत्त होने पर स्थानीय जैन समाज के सक्रिय श्रावक श्री महेन्द्र कुमार जी लुणावत के द्वारा माल्यार्पण कर शाल अर्पित की गयी। संस्थान के निदेशक प्रो०सागरमल जैन ने श्री आर०के० जैन के संस्थान से रहे आत्मीय सम्बन्धों एवं सहयोग की चर्चा की। डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, प्रवक्ता--जैनविद्या विभाग ने विद्यापीठ से अवकाश ग्रहण कर रहे प्राध्यापकों का परिचय दिया और विद्यापीठ तथा जैन विद्या के क्षेत्र में उनके अवदानों की चर्चा की। प्राकृत विभाग के अध्यक्ष प्रो० सुरेश चन्द्र पाण्डे एवं वरिष्ठ प्रवक्ता प्राकृत विभाग, डॉ० अशोक कुमार सिंह ने भी अवकाश ग्रहण कर रहे वरिष्ठ शिक्षकों के गुणों एवं विद्यापीठ प्रवास के समय उनके संस्मरणों को याद किया तथा माल्यार्पण कर उन्हें शाल समर्पित किया। श्री आर०के०जैन, प्रो० सुरेन्द्र वर्मा, डॉ०बी०एन० शर्मा, डॉ०बी०एन०सिन्हा तथा डॉ०कमल जैन ने अपने उद्बोधन में विद्यापीठ परिवार के साथ अपने प्रगाढ़ आत्मीय सम्बन्धों एवं यहाँ की सुखद अनुभूतियों की भाव-विह्वल होकर चर्चा करते हुए विद्यापीठ की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए शुभकामनाएँ दीं। कार्यक्रम के अन्त में प्रीतिभोज का आयोजन किया गया। उपनिषद् साहित्य में जैन तत्त्व संगोष्ठी नई दिल्ली २७ अप्रैल, ऋषभदेव प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय संग्रहालय में एक अखिल भारतीय संगोष्ठी "उपनिषद् साहित्य में जैन तत्त्व और सराक एवं अन्य जनजातियों में जैन धर्म" विषयों पर आयोजित की गई। द्वि-दिवसीय इस संगोष्ठी में छ: सत्रों में लगभग चौदह विद्वानों ने अपने शोध-पत्रों को प्रस्तुत किया। संगोष्ठी का उद्घाटन पूज्य १०८ आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज, मुनि श्री किशन लाल जी, मुनि श्री अमरेन्द्र जी एवं श्री मदन मुनि जी के सानिध्य में हुआ। प्रतिष्ठान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525030
Book TitleSramana 1997 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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