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(२३) जीवन प्रिय है सभी प्राणियों को यदि, हिंसा क्यों?
(२७) जो उदार है, फलदायी वृक्षों सा वैभवशाली
(२४) जीवन पूँजी है, मत ख!-इसे निवेश करो
(२८) जो कलुषित न हो कषायों से, है कुशल वही
(२५) जीर्ण पत्र को बन जाने दो खाद, मूल्यवान वो!
(२९) जो नहीं छूटेछुटाए, ढीठ ऐसी मोह है हिंसा
(२६) जो अहिंसक, मृत्यु-भय उनको भला क्यों कर
(३०) जो रखें रति अरति में केवल, वे विरत हैं
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