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________________ ३० : श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७ णासेइ गरुव हिक्का दारुण गरुव ण जाइ सोढव्वं । महुणा लेहिज्जंतो इक्को कडुरोहिणी चुण्णो ।।७४।। खासो विजाइ णासं चिरकाल पवट्टियावि जा हिक्का। णलिया जंतेहि फुडकूलडी धूप पिवंतस्स ।।७५।। इति योगनिधाने हिक्का नासनोऽध्यायः . समिसं अंतर छल्ली कत्थं किज्जाय पिप्पलायं च । काढ़ि विसीयल काउं पीए उकारिया हरए।।७६।। जंबूदल भगोलं अह घरहरी सुतत्त काऊणं । खिप्पिवि जलितं तोयं पीयंतो कारिया जाइ ।।७७।। इति जोग निधाने उकारिका नासनोऽध्यायः वण वाया घय वसउ जर कप पित्ताइं णट्ठ णिद्दाई। पुण रवि लहेइ णिछा सेवंतहं अमरवल्लीहिं ।।७८।। अहं चिंताय भउत्तणि अहवा पीयंतु माणुसी दुद्धं । तेणवि भरंतु णयणे णट्ठा गिंदा पुणो होइ ।।७९।। सज्जरसं घयखंडं अइसारंसु लेहणेसु दिणोण । तक्खणि गहेइ मुट्ठी तम णिवह उदय अक्केण ।।८।। सज्जरसं हरियालं घय खंड अइसरेण दिण्णेण । तक्खणि गहेइ मुट्ठी तम णिवहं जह मयं केठ ।।८१।।चंद्रोदय गोपय घियकर सद्धं करिसद्ध ववूल छल्लि कत्थंस्। तिहिं दिवसहिं पीयंतो आभासउ मुट्ठिहिलेइ ।।८।। धत्तीभालू मिरिया दहिय समेयंपि पीयमाणस्स । तक्खणि गहेइ मुट्ठी अइसारं णत्थि संदेहो ।। ८३।। हरिवारुणि चडलेहणि जलणेणावि हणइ दुक्खवंतं । पुणुसेरहि दहिमत्थो तं पीए पुणुवि पीवेउ ।। ८४।। कडुतुंविणि कुमिंडा (तुमिंडा) तोरइखीरेण वीयवेक रसा। वेकरस विराली इगकरसा रत्ति या खंडा ।। ८५।। खीर सहातइ सत्तातं चुण्णं पाणएण रविउदए । दूष(ख)वता पिणासइ पत्योधरिएण जुत्तेण ।।८६।। अद्धक रसजवखारं धत्ती कर सम्मि टंकणं पायं । वट्टिवि धरेह चुष्णं टंके पाहाण भेएण ।।८७।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525029
Book TitleSramana 1997 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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