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पिप्पलगच्छ का इतिहास
: १११
शालिभद्रसूरि
धर्मसागरसूरि (वि०सं०१५१६-१५२८) (वि०सं०१४८४-१५३५) प्रतिमालेख
प्रतिमालेख
धर्मप्रभसूरि (वि०सं०१५६१)
प्रतिमालेख पिप्पलगच्छीयगुरु-स्तुति द्वारा त्रिभवीयाशाखा के धर्मप्रभसूरि के पूर्ववर्ती आचार्यों के नाम से ज्ञात हो चुके हैं। पिप्पलगच्छगुर्वावली१३ से हमें धर्मसागरसूरि के एक अन्य शिष्य धर्मवल्लभसूरि का भी पता चलता है। इस प्रकार साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर पिप्पलगच्छ की त्रिभवीयाशाखा की गुरु-परम्परा की जो तालिका बनती है. वह इस प्रकार है :--
सर्वदेवसूरि [वडगच्छीय] नेमिचन्द्रसूरि [वडगच्छीय] शांतिसूरि (वि० सं०११८१/ई० सन् ११२५
में पिप्पलगच्छ के प्रवर्तक]
महेन्द्रसूरि विजयसूरि देवचन्द्रसूरि पद्मचन्दसूरि पूर्णचन्द्रसूरि जयदेवसूरि देवप्रभसूरि जिनेश्वरसूरि
देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि शीलभद्रसूरि परिपूर्णदेवसूरि विजयसेनसूरि धर्मदेवसूरि त्रिभवीयाशाखा के प्रवर्तक वि०सं० १३८६/ई०स० १३३०के
प्रतिमालेख में उल्लिखित] धर्मचन्द्रसूरि
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