________________
तनाव : कारण एवं निवारण तनाव के प्रकार - तनाव के प्रकारों को व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं विश्वव्यापी रूपों में विभक्त कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं
व्यक्तिगत तनाव- प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति तनाव से ग्रसित हैं। चाहे मिल मालिक हो, मजदूर हो, व्यापारी हो, कर्मचारी हो, प्रशासक हो, सेठ हो, वकील हो अथवा अध्यापक हो-सभी वर्गों के लोग किसी न किसी कारण से तनावयुक्त जीवन जी रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने से उच्च-स्तर के व्यक्ति को देखता है, उसकी सुख-सुविधाओं को देखकर उन्हें प्राप्त करने में जुट जाता है। जिसके कारण उसका दिन का चैन व रात की नींद तक हराम हो जाती है। नींद लेने के लिए भी औषधियों का सेवन करना पड़ता है। यदि वह सुविधाएं प्राप्त कर भी लेता है तो कभी टेलीफोन की घंटी उसकी नींद में व्यवधान डाल देती है। धन मिलने पर भी सुख मिल जाये, यह आवश्यक नहीं है। असन्तोष-क्लेश के कारण वह अस्वस्थ हो जाता है, रक्तचाप जैसी बीमारी का शिकार हो जाता है। अपने उपलब्ध सुखों को भूलकर बाह्य जगत् में व्यक्ति उसको ढूँढ़ता फिरता है, ठीक उसी प्रकार जैसे मृग अपनी नाभि में स्थित कस्तरी की सुवास को वन-वन में खोजता है, पर्वत और कन्दराओं में ढूँढ़ता है, लेकिन अपने भीतर नहीं झाँक पाने के कारण कष्ट पाता रहता है। इसी सन्दर्भ में कबीरदासजी ने भी कहा है-२३
"कस्तूरी कुण्डल बसै, मृग ढूं? बन माहि।
तैसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहिं।।" उसीप्रकार मानव भी लोभ के वशीभूत, सुख की खोज में अमूल्य मानव भव को तनाव से ग्रसित कर लेता है, लेकिन उसे सुख नहीं मिल पाता है। ____ पारिवारिक तनाव- लोभ की वृद्धि के कारण ही परिवार में तनाव उत्पन्न होता है। पिता-पुत्र में, भाई-भाई में, सास-बहू में और यहां तक कि पति-पत्नी में भी लोभ व अविश्वास उत्पन्न होने के कारण प्रतिदिन लड़ाई-झगड़ा, मनमुटाव, द्वेष, ईर्ष्या आदि के कारण तनाव बढ़ता जाता है। यदि परिवार में सन्तोष व्याप्त हो तो तनाव की स्थिति ही उत्पन्न नहीं होती है।
विश्वव्यापी तनाव- व्यक्तिगत और पारिवारिक तनावों का विस्तृत रूप ही समाज और विश्व में देखने को मिलता है। असन्तोष, लोभ, अविश्वास ही संघर्ष उत्पन्न करने के मूलभूत कारण होते हैं। आज सत्ता और समृद्धि का मोह, छोटे राष्ट्रों का बड़े राष्ट्रों की तरह बनने की होड़, बड़े राष्ट्रों में शक्ति विस्तार की भावना, साम्राज्यवाद की स्पर्धा जैसे अनेक कारण एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र के प्रति संदिग्ध बना रहे हैं, जिसके कारण विश्व में तनाव बढ़ रहे हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org