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श्रमण/जुलाई-सितम्बर/ १९९६
इसी क्रम में जुलाई और अगस्त मास में दो संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं। जुलाई मास में आयोजित संगोष्ठी में प्राकृत भाषा एवं साहित्य विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता, डॉ० अशोक कुमार सिंह ने 'दशाश्रुतस्कन्ध निर्युक्ति का छन्दों की दृष्टि से अध्ययन समानान्तर गाथाओं के सन्दर्भ में' विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।
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इस संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रो० सागरमल जैन ने की और विशेष वक्तव्य प्रो० सुरेशचन्द्र पाण्डे, अध्यक्ष प्राकृत भाषा एवं साहित्य विभाग, ने दिया। अगस्त माह में आयोजित मासिक संगोष्ठी में दो शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। प्रथम पत्र जैन धर्म एवं दर्शन विभाग के प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने 'तत्त्वार्थाधिगम सूत्र में प्रत्यक्ष प्रमाण' विषय पर प्रस्तुत किया और दूसरा पत्र डॉ० अशोक कुमार सिंह ने 'निक्षेप सिद्धान्त और निर्युक्ति साहित्य' विषय पर प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ० रतनचन्द्र जैन, रीडर प्राकृत भाषा एवं साहित्य विभाग तथा विशेष वक्तव्य प्रो० सागरमल जैन ने दिया।
मासिक संगोष्ठी में प्रस्तुत किये गये शोधपत्र श्रमण में प्रकाशित किये जायेंगे ।
प्रो० सागरमल जैन विदेश यात्रा पर
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के लिए यह अत्यन्त गर्व का विषय है कि Federation of Jain Associations In North America ने विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन को अमेरिका के विभिन्न नगरों में जैनधर्म एवं दर्शन के विविध पक्षों पर व्याख्यान के लिए आमन्त्रित किया है। प्रो० जैन ने २७ अगस्त को नई दिल्ली से अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। अपने अमेरिका प्रवास में वे २८ अगस्त से ५ अक्टूबर तक सेन्टलुइस, सिन्सेनाटी, पिट्सवर्ग, टोरन्टो, डलास, न्यूयार्क आदि कई स्थानों पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे तथा अनेक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। ८ अक्टूबर तक उनके स्वदेश लौटने की सम्भावना है।
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पार्श्वनाथ विद्यापीठ में पं० फूलचन्द्र शास्त्री व्याख्यानमाला सम्पन्न
३१ अगस्त, श्री गणेशवर्णी दिगम्बर शोध संस्थान, नरिया - वाराणसी द्वारा आयोजित 'स्व०पं० फूलचन्द्र शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला' के अन्तर्गत षट्खण्डागम का भाषावैज्ञानिक अध्ययन विषय पर सुप्रसिद्ध भाषाविद् और कलकत्ता विश्वविद्यालय के • भाषा - विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो० सत्यरंजन बैनर्जी के व्याख्यान का द्वितीय सत्र
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