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________________ ३८ : श्रमण/अप्रैल-जून/१९९६ अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि विबुधचन्द्रसूरि (वि० सं० ११९३/ई० सन् ११३५ में (धर्मोपदेशमालावृत्ति की प्रथमा धर्मोपदेशमालावृत्ति के रचनाकार) दर्शप्रति के लेखक) सुपासनाहचरिय प्राकृत भाषा में ८००० गाथाओं में निबद्ध यह कृति वि० सं० ११९९/ई० सन् ११४३ में मलधारी लक्ष्मणगणि द्वारा रची गयी है। इसकी प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का इस प्रकार उल्लेख किया है : जयसिंहसूरि अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि लक्ष्मणगणि (वि० सं० ११९९/ई० सन् ११४३ में सुपासनाहचरिय के रचनाकार) संग्रहणीवृत्ति यह मलधारी श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य देवभद्रसूरि की कृति है। इसकी प्रशस्ति के अन्तर्गत ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है : अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि देवभद्रसूरि (संग्रहणीवृत्ति के रचनाकार) यह कृति वि० सं० की १३वीं शती के प्रथम अथवा द्वितीय दशक की रचना मानी जा सकती है। पाण्डवचरितमहाकाव्य यह लोकप्रसिद्ध पाण्डवों के जीवनचरित पर जैनपरम्परा पर आधारित ८ हजार श्लोकों की रचना है। इसके रचनाकार मलधारी देवप्रभसूरि हैं। ग्रन्थ की प्रशस्ति से ज्ञात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525026
Book TitleSramana 1996 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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