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७६ : अमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१९९५
२. पता ३. ग्रन्थ का नाम ४. मौलिक रचना/अनुवाद / सम्पादन /समीक्षा ५. भाषा ६. विषय ७. अन्य विवरण पुरस्कार समिति का निर्णय सर्वमान्य होगा।
डॉ० सुदर्शन लाल जैन मंत्री, अ० भा० दि० जैन वि० प०, सेन्ट्रल स्कूल कॉलोनी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी जैन आगम-साहित्य : अध्ययन एवं समीक्षा संगोष्ठी सम्पन्न ।
श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, उदयपुर, राजस्थान द्वारा आयोजित “जैन आगम साहित्य : अध्ययन एवं समीक्षा” नामक द्वि-दिवसीय संगोष्ठी, श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्यमुनि जी 'कुमुद' के सानिध्य में दिनांक ४-५ नवम्बर को श्री अम्बा गुरु शोध संस्थान, उदयपुर में सम्पन्न हुई। संगोष्ठी का उद्घाटन, महन्त श्री मुरली मनोहर शरण शास्त्री एवं समापन श्री चेतनदेव जी उपाध्याय, जेल अधीक्षक, उदयपुर ने किया। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न अंचलों से आये अनेक विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में प्रो० सागरमल जैन, प्रो० सुरेन्द्र वर्मा, डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय, डॉ० रज्जन कुमार - सभी वाराणसी, प्रो० दयानन्द भार्गव, डॉ. धर्मचन्द जैन – जोधपुर, डॉ. जिनेन्द्र कुमार जैन – लाडनूं, डॉ० अरुणा आनन्द -- दिल्ली, प्रो० प्रेमसुमन जैन, डॉ० उदयचन्द जैन, डॉ० हुकुमचन्द जैन, डॉ० सुरेश सिसोदिया, डॉ० सुभाष कोठारी, श्रीमानमल कुदाल, श्रीमती मंजु सिरोया एवं श्रीमती पारसमणी खींचा - उदयपुर आदि विद्वानों ने भाग लिया एवं अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में मूलतः जैन आगमों के विभिन्न पक्षों पर विद्वानों के द्वारा प्रकाश डाला गया। उनका निष्कर्ष था कि जैन आगमन केवल जैन धर्म और दर्शन की अवधारणों को प्रस्तुत करते हैं, अपितु उनमें भारतीय समाज और संस्कृति से सम्बन्धित विपुल सामग्री भी सनिहित है।
इस उच्चस्तरीय संगोष्ठी के सफल होने का सारा श्रेय श्री सौभाग्य मुनि जी 'कुमुद' एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया को है। संगोष्ठी की विशेष व्यवस्था के लिए श्री वर्द्धमान स्थानकवासी, जैन श्रावक संघ, उदयपुर बधाई का पात्र है।
शोक समाचार महासती प्रकाशवती जी म० सा० का स्वर्गवास महासती श्री प्रकाशवती जी म० सा० का १० अगस्त को उदयपुर में समाधिपूर्वक
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