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________________ ७५ : अमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१९९५ अमरमुनि और आचार्य चन्दनाजी द्वारा स्थापित यह संस्थान शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजकल्याण के क्षेत्र में अपनी स्थापना के समय से ही नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। वीरायतन की एक शाखा 'नेत्रज्योतिसेवामन्दिरम्' द्वारा अब तक साढ़े पाँच लाख व्यक्ति लाभ उठा चुके हैं। परमार्थ के जीवन्तस्वरूप वीरायतन को उक्त सम्मान देकर वस्तुतः भगवान महावीर फाउण्डेशन एवं उसके पदाधिकारियों ने एक स्तुत्य कार्य किया है। डॉ० सुरेश सिसोदिया चम्पालाल सांड स्मृति साहित्य पुरस्कार से सम्मानित आगम, अहिंसा समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर के शोध अधिकारी डॉ० सुरेश सिसोदिया की कृति 'जैन धर्म के सम्प्रदाय' को श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ, बीकानेर द्वारा अपने ३३ वें वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर दिनांक २६ सितम्बर ९५ को बीकानेर में आयोजित एक भव्य समारोह में वर्ष १९९३ के चम्पालाल सांड स्मृति साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कारस्वरूप डॉ० सिसोदिया को ग्यारह हजार रुपये नकद एवं अभिनन्दन पत्र भेंट किया गया। समारोह में प्रो० सागरमल जैन एवं डॉ० सुरेश सिसोदिया द्वारा सम्पादित “प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा तथा डॉ० सिसोदिया द्वारा अनूदित “संस्तारक प्रकीर्णक' पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। ज्ञातव्य है कि डॉ० सिसोदिया ने अपने द्वारा लिखित, अनुवादित एवं सम्पादित - (१) देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक, (२) चन्द्रवेध्यकप्रकीर्णक, (३) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, (४) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिप्रकीर्णक, (५ ) गच्छाचारप्रकीर्णक, (६ ) जैन धर्म के सम्प्रदाय, (७) प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा तथा (८) संस्तारकप्रकीर्णक आदि सभी पुस्तकों का लेखन एवं प्रकाशन कार्य पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी के निदेशक प्रो० सागरमल जैन के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न किया है। डॉ. सिसोदिया को चम्पालाल सांड स्मृति साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाई। पुरस्कार योजना - अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद्, दिगम्बर जैन धर्म, दर्शन, इतिहास एवं संस्कृति आदि से सम्बद्ध विषयों पर विद्वानों द्वारा लिखित, अनूदित, सम्पादित तथा ई० १९९०-१९९४ में प्रकाशित कृतियाँ पुरस्कार ( पाँच हजार और तीन हजार रुपये के दो पुरस्कार ) हेतु आमन्त्रित करती है। इच्छुक विद्वान निम्न सूचनाओं के साथ ग्रन्थ की चार प्रतियाँ १५ नवम्बर १९९५ तक निम्नलिखित प्रारूप को भरकर निम्न पते पर भेज सकते हैं। १. आवेदक का नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525024
Book TitleSramana 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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