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श्रमण
जैन जगत्
आचार्य सम्राट श्री आनन्द ऋषि जी म० की जयन्ती पर विविध कार्यक्रम
पानीपत १ अगस्त : जैनधर्म दिवाकर आचार्य सम्राट् स्वर्गीय श्री आनन्दऋषि जी महाराज की ९६ वीं जयन्ती अत्यन्त उल्लासपूर्वक मनायी गयी। इस पावन अवसर पर श्री नरेश मुनिजी म०, डॉ० श्री राजेन्द्रमुनिजी म०, उपप्रवर्विनी महासती श्री रविरश्मि जी महाराज, युवा कांग्रेस की हरियाणा शाखा के प्रधान श्री सुखवीर जैन, कॉन्फ्रेन्स के उपाध्यक्ष श्री आर० डी० जैन, श्री राजेन्द्र कुमार जैन आदि ने आचार्य को श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज जैन जगत् के देदीप्यमान नक्षत्र थे। भारत सरकार के ग्रामीण रोजगार राज्यमंत्री श्री उत्तमभाई पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र में उत्पन्न इस महासंत ने सम्पूर्ण विश्व को अपनी चारित्रिक गरिमा से एक नई दिशा दी। आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्रमुनि जी म० ने श्रद्धाञ्जलि व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जीवन के प्रत्येक कण में त्याग की निर्मल आभा विद्यमान थी। इस अवसर पर जैन कॉन्फ्रेन्स के हरियाणा शाखा की ओर से विकलांग और पोलियो शिविर भी लगाया गया जिसमें अनेक लोगों की चिकित्सा की गयी एवं जरूरतमंद लोगों को कृत्रिम हाथ, पैर, व्हील-चेयर, बैसाखी आदि प्रदान की गयी। इसी अवसर पर आचार्य देवेन्द्रमुनि जी म० की कृतियों - दीपशिखा, ज्योतिकण, मुट्ठी में तकदीर आदि का लोकार्पण किया गया एवं श्री उत्तमभाई पटेल को उपाध्याय पुष्करमुनि स्मृतिग्रन्थ समर्पित किया गया।
श्री देवकुमार कासलीवाल अमृतमहोत्सव कार्यक्रम
कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के संस्थापक, मक्सी पार्श्वनाथ, कुण्डलपुर, सिद्धवरकूट बावनगजाजी आदि दिगम्बर जैन तीर्थों के संरक्षक तथा विकासकर्ता, महावीर ट्रस्ट के माध्यम से विभिन्न सांस्कृतिक क्रियाकलापों के सञ्चालक, मध्य भारत हिन्दी समिति, रॉबर्ट्स नर्सिंग होम आदि संस्थाओं के प्रमुख सहयोगी, जैनरत्न, समाजरत्न, श्रावक शिरोमणि आदि उपाधियों से विभूषित श्रीदेवकुमार जी कासलीवाल के सम्मानार्थ उनके ७५ वें जन्मदिन पर दि० २९ अक्टूबर १९९५ को इन्दौर में एक भव्य अमृतमहोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार श्री कासलीवाल जी के शतायु होने के साथ-साथ उक्त अमृतमहोत्सव कार्यक्रम के सफलता की कामना करता है।
मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म० सा० की १०५ वी जयन्ती सम्पन्न
दिनांक ९ अगस्त, श्रावक चतुर्दशी को श्रमण संघ के महाप्राण, मरुधर केसरी श्री
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