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८८ : श्रमण/ जुलाई-सितम्बर/१९९५
प्रकाशक - श्री जितयशा फाउण्डेशन, कलकत्ता संस्करण - प्रथम
इस पुस्तक में लेखक श्री चन्द्रप्रभसागर जी ने समय के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए उस पर मौलिक चिन्तन प्रस्तुत किया है। उन्होंने समय के महत्त्व को भली-भाँति समझा है उनकी दृष्टि में मनुष्य के जीवन में सबसे कीमती चीज समय है। इसलिए हर पल का भरपूर उपयोग करना चाहिये क्योंकि एक बार बीत गया समय पुनः लौटकर वापस नहीं आता।
श्री चन्द्रप्रभ जी के समय और उससे सम्बद्ध विषयों पर ये विचार वास्तव में जनसामान्य में चेतना ला सकते हैं। पुस्तक सभी के लिए लाभप्रद एवं उपयोगी है।
___- श्री असीम कुमार मिश्र
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