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________________ वाचक श्रीवल्लभरचित 'विदग्धमुखमण्डन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय है । स्व० अगरचन्द नाहटा १७वीं शताब्दी में खरतरगच्छ के वाचक श्रीवल्लभ बहत बड़े प्रतिभाशाली विद्वान् एवं टीकाकार हुए हैं, जिन्होंने तपागच्छ के आचार्य विजयदेवसूरि की प्रशस्तिरूप में 'विजयदेवमाहात्म्य' नामक महाकाव्य बनाया। उससे कुछ पहले तपागच्छीय उपाध्याय धर्मासागर ने खरतरगच्छ और तपागच्छ में विरोध और फूट का बीज डाल दिया था। ऐसे विषम वातावरण में खरतरगच्छ का एक विद्वान् तपागच्छ के एक आचार्य के सम्बन्ध में महाकाव्य बनाये, यह बहुत ही उदारता और महानता की बात है। मैंने वाचक श्रीवल्लभ के कई अज्ञात ग्रन्थों की खोज की और ३०-४० वर्ष पहले एक लेख प्रकाशित करवाया था। उसके बाद उनकी रचित कई और भी रचनायें प्राप्त हुई और कुछ तो प्रकाशित भी हो चुकी हैं। महोपाध्याय विनयसागर जी ने 'श्री लच्छिनाममाला' की श्रीवल्लभ टीका को सम्पादित करके लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति मन्दिर, अहमदाबाद से प्रकाशित की है। उसकी भूमिका में उन्होंने श्रीवल्लभ सम्बन्धी विस्तृत प्रकाश डाला है। श्रीवल्लभरचित संघपति सोमजी-रूपजी सम्बन्धी एक ऐतिहासिक संस्कृत काव्य की एक अपूर्ण प्रति राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर के संग्रह में आई। उसे भी सम्पादित करके महो० विनयसागर जी ने उसी संस्था से प्रकाशित करवा दिया है। जैनेतर रचनाओं पर जैन टीकाओं के सम्बन्ध में प्रकाश डालते हुए बौद्धकवि धर्मदासरचित "विदग्धमुखमण्डन' की कई जैन टीकाओं का मैंने विवरण दिया था, उसके बाद इस कृति की, वाचक श्रीवल्लभरचित दर्पण नामक, टीका की अपूर्ण प्रति प्राप्त हुई। मैं इसकी पूरी प्रति की खोज में रहा पर अभी तक कहीं प्राप्त नहीं हुई। अतः इस लेख में अपूर्ण प्रति का संक्षिप्त विवरण प्रकाशित कर रहा हूँ। जिस किसी सज्जन को इस दर्पण टीका की पूरी प्रति प्राप्त हो जाय वे मुझे सूचित करें। विदग्धमुखमण्डन टीका की प्राप्त प्रति में पहला व तीसरा पत्र नहीं है और २६ पत्रों के बाद के अन्तिम पत्र भी नहीं हैं। प्रति त्रिपाठ लिखी हुई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525023
Book TitleSramana 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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