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________________ नागेन्द्रगच्छ का इतिहास : ५३ परमाणंदसूरि वि० सं० १४८४ ज्येष्ठ सुदि ४ बुधवार जै० ले० सं०, भाग २ लेखांक १०७३ वि० सं० १४८६ वैशाख सुदि १० बुधवार प्रा० ले० सं० लेखांक १३७ वि० सं० १४६७ ज्येष्ठ सुदि २ सोमवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ८६८ वि० सं० १४६६ माघ वदि ५ रविवार वही, भाग २ लेखांक ६३८ परमाणंदसूरि के शिष्य विनयप्रभसूरि वि० सं० १५०१ पौष वदि ६ शुक्रवार __ श्री० प्र० ले० सं० लेखांक ६६ वि० सं० १५०५ माघ सुदि १० रविवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ११६६ वि० सं० १५०७ माघ सुदि १० सोमवार श्री० प्र० ले० सं० लेखांक १६७ वि० सं० १५११ कार्तिक वदि ५ रविवार जै० धा० प्र० ले० सं०. भाग १ लेखांक ८२२ वि० सं० १५१२ ज्येष्ठ सुदि ५ रविवार वही, भाग १ लेखांक ५५ वि० सं० १५१३ वैशाख वदि २ शुक्रवार वही, भाग १ लेखांक १२२ वि० सं० १५१५ माघ सुदि १ शुक्रवार जै० ले० सं० लेखांक ४८१ वि० सं० १५१७ फाल्गुन सुदि ३ शुक्रवार जै० धा० प्र० ले० ___ सं०, भाग २ लेखांक ६७० विनयप्रभसूरि के शिष्य सोमरत्नसूरि वि० सं० १५२७ माघ वदि ५ शुक्रवार बी० जै० ले० सं० लेखांक १०५३ वि० सं० १५२६ माघ सुदि ५ रविवार जै० ले० सं०, भाग १ लेखांक ८१६ विनयप्रभसूरि के पट्टधर क्षेमरत्नसूरि वि० सं० १५२७ माघ वदि ५ शुक्रवार प्र० ले० सं० लेखांक ६६६ सोमरत्नसूरि के शिष्य हेमसिंहसूरि वि० सं० १५६० वैशाख सुदि ३ बुधवार श्री० प्र० ले० सं० लेखांक १२२ वि० सं० १५७० माघ सुदि १३ मंगलवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ५१५ वि० सं० १५७३ माघ वदि २ रविवार बी० जै० ले० सं० लेखांक १५६० वि० सं० १५८३ वैशाख सुदि १० शुक्रवार जै० धा० प्र० ले० सं०, भाग १ लेखांक ६६५ उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर नागेन्द्रगच्छीय मुनिजनों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525023
Book TitleSramana 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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