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सम्पादक
डॉ० अशोक कुमार सिंह
वर्ष ४६
प्रधान सम्पादक
प्रो० सागरमल जैन
अप्रैल-जून, १९९५
१. मन - शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण २. जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता
प्रस्तुत अङ्क में
प्रो० ० सागरमल जैन के निम्न आलेख प्रकाशित किये जा रहे है :
:
३. सदाचार के शाश्वत मानदण्ड
४. जैन धर्म का लेश्या - सिद्धान्त : एक विमर्श
५. प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि में बुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के नये प्रकाशन
जैन जगत्
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सह-सम्पादक डॉ० शिवप्रसाद
अंक ४-६
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९७ - १२२
१२३ - १३३
१३४ - १४९
१५० - १६५
१६६ - १६९
वार्षिक शुल्क चालीस रुपये
एक प्रति दस रुपये
यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों ।
१७० - १७६
१७७ - १७९
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