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भारतीय दर्शन में मोक्ष की अवधारणा : 9
32.
(त) समयसार, तात्पर्याख्यावृत्ति, 155 29. (क) उत्तराध्ययनसूत्र, अ. 28, गाथा 30
(ख) दर्शन पाहुड मूल, 21 30. (क) उत्तराध्ययनसूत्र, अंक 28, गाथा 28 (ख) ज्ञानार्णव, 6/54 31. (क) रयणसार, 54, 158
(ख) रत्नकरण्डश्रावकाचार, 34, 36 स्थानांगसूत्र, स्थान 2, उ. 1, सूत्र 71 (क) नन्दीसूत्र, गाथा 80 (ख) तत्त्वार्थसूत्र 1-13
(ग) धवला, 1/1, 1/37/1 34. (क) भगवतीआराधना, मू. 8/41
(ख) शीलपाहुड, मू. 5
(ग) मूलाचार, 897 35. (क) तत्त्वार्थसूत्र, अं.1, सूत्र 1
(ख) उत्तराध्ययनसूत्र, अं. 28, गाथा 1-3 (ग) स्थानांगसूत्र, स्था. 3, उ. 4, सूत्र 194
एडवोकेट, एम० ए० ( संस्कृत ), बी0 एस-सी0, एल-एल0 बी0, पी-एच0 डी0,
सम्पादक -- जयकल्याणश्री ( मासिक पत्रिका ), अलीगढ़।
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